नई दिल्ली: लोकसभा में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाने और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पास हो गए हैं। धारा 370 को हटाने वाले बिल के पक्ष में 351 जबकि विपक्ष में 72 वोट पड़े। वहीं, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल के पक्ष में 367 जबकि विपक्ष में 67 वोट डाले गए। इन दोनों बिलों के साथ ही जम्मू-कश्मीर के नए जन्म का रास्ता साफ हो गया है। अब तक जम्मू-कश्मीर में दो-दो झंडे फहराते थे। एक भारत का, दूसरा जम्मू-कश्मीर का, लेकिन जम्मू-कश्मीर का अब अलग झंडा नहीं रहेगा। अब कश्मीर में सिर्फ राष्ट्रध्वज तिरंगा लहराएगा।
अब जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा और अपना अलग संविधान खत्म हो जाएगा। अब यहां भी भारत का ही संविधान लागू होगा। वहीं, लद्दाख को कश्मीर से अलग कर दिया जाएगा। इसी के साथ अब से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों ही केंद्र शासित रास्ज होंगे। लोकसभा से पहले ये ऐतिहासिक बिल बीते सोमवार को राज्यसभा में पास हो गए थे। इसके बाद आज इन बिलों को लोकसभा में पेश किया गया। गृहमंत्री अमित शाह ने ये बिल पेश किए, जिनपर एक लंबी चर्चा चली।
बिल पास होने से पहले चली बहस
लोकसभा में बिलों पर वोटिंग से पहले लंबी बहस चली, जिसका जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने बड़े ही ठोस तरीके से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि 'PoK के लिए जान दे देंगे'। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। मैं जिस जम्मू-कश्मीर की बात कर रहा हूं, उसमें पीओके और अक्साइचिन भी भारत का ही हिस्सा है।
संविधान के अनुच्छेद 370 को, भारत और जम्मू-कश्मीर को जोड़ने में रुकावट करार देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि इस अनुच्छेद की अधिकतर धाराओं को समाप्त करके सरकार ‘‘ऐतिहासिक भूल’’ को सुधारने जा रही है। गृह मंत्री ने सदन को आश्वासन दिया कि स्थिति सामान्य होते ही जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने में इस सरकार को कोई परेशानी नहीं है।
जम्मू-कश्मीर से संबंधित संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के सवालों पर शाह ने स्पष्ट किया कि 1960 के दशक में पाकिस्तान द्वारा भारत की सीमाओं का अतिक्रमण करने के साथ ही संरा का वह प्रस्ताव स्वत: ही निष्प्रभावी हो गया था। शाह ने लोकसभा में जम्मू कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को हटाने संबंधित दो संकल्पों, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक एवं राज्य में आरक्षण के प्रावधानों के लिए लाये गये विधेयक पर एक साथ हुई चर्चा का जवाब देते कहा, ‘‘अनुच्छेद 370 भारत और कश्मीर को जोड़ने से रोक रहा था।’’
उन्होंने कहा कि आज सदन की स्वीकृति के बाद यह रुकावट दूर हो जाएगी। शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने से जम्मू कश्मीर का भला कैसे होगा, इसका जवाब है कि यह जम्मू कश्मीर और लद्दाख की गरीबी बढ़ाने वाला, विकास को रोकने वाला, पर्यटन को रोकने वाला, आरोग्य की सुविधाओं से दूर रखने वाला, महिला विरोधी, दलित विरोधी, आदिवासी विरोधी और आतंकवाद का खाद और पानी दोनों है।
जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने पर उठे सवालों पर शाह ने कहा कि लद्दाख को वहां के लोगों की मांग पर केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया है और जम्मू कश्मीर में स्थिति सामान्य होते ही जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि अनुच्छेद 370 अस्थाई है, इसे उचित समय पर हटा दिया जाएगा। लेकिन इसे हटाने में 70 साल लग गये।
शाह ने कहा, ‘‘हमें जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने में 70 साल नहीं लगेंगे।’’ गृह मंत्री ने इस फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी राजनीतिक इच्छाशक्ति के कारण ही अनुच्छेद 370 समाप्त हो रहा है। इस दौरान सदन में प्रधानमंत्री मोदी उपस्थित थे। शाह ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के संबंध में कहा कि वह भारत का हिस्सा है। विधेयक में भी पीओके और अक्साई चिन का उल्लेख है।
उन्होंने कहा कि प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सेना को पूरी छूट दी होती तो पीओके भारत का हिस्सा होता। अनुच्छेद 371 को हटाने संबंधी कुछ विपक्षी सदस्यों की आशंकाओं को खारिज करते हुए शाह ने कहा ‘‘पूर्वोत्तर, महाराष्ट्र और कर्नाटक समेत कुछ राज्यों के सदस्यों को मैं आश्वस्त करता हूं कि नरेंद्र मोदी सरकार की अनुच्छेद 371 को हटाने की कोई आकांक्षा नहीं है।’’
पक्षकारों से चर्चा नहीं करने के विपक्ष के आरोपों पर गृह मंत्री ने कहा कि कितने सालों तक चर्चा होगी। उन्होंने कहा, ‘‘ हम हुर्रियत के साथ चर्चा नहीं करना चाहते, अगर घाटी के लोगों में आशंका है तो जरूर उनसे चर्चा करेंगे, उन्हें गले लगाएंगे ।’’ एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी के सरकार पर इस कदम के जरिये ‘‘ऐतिहासिक भूल’’ करने के आरोपों का जवाब देते हुए शाह ने कहा ‘‘हम ऐतिहासिक भूल नहीं कर रहे, ऐतिहासिक भूल’’ को सुधारने जा रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि ऐसे फैसले चुनाव में जीतने या व्यक्तित्व को बढ़ावा देने के लिए नहीं, जनता की भलाई के लिए लिये जाते हैं।
(इनपुट- भाषा)