नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर की फिजा सुधारने की दिशा में बड़ी पहल की गई है। घाटी में पत्थरबाज़ी के आरोपी चार हज़ार से ज्यादा नौजवानों पर दर्ज केस वापस ले लिए गये हैं। वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा ने पहली बार पत्थरबाजी करने वालों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की सिफारिश की थी। पथराव करते घाटी के इन नौजवानों को मुख्यधारा में लौटने के लिए सरकार ने एक बड़ा मौका दिया है।
कुल चार हज़ार तीन सौ सत्ताइस पत्थरबाज़ों के खिलाफ चल रहे केस को वापस लिया गया है। महबूबा मुफ्ती ने इस संबंध में जारी आदेश पर बुधवार को हस्ताक्षर किए है। ये वो नौजवान हैं जो पत्थरबाज़ी के मामले में पहली बार पकड़े गये हैं। हालांकि सरकार पहले ही दिन से इन केसों को रिव्यू कर रही थी। सरकार बनने के दो महीने के अंदर ही....
- 2008 से 2014 तक के मामलों को भी देखा गया
- पहले चरण में 634 नौजवानों पर दर्ज 104 केस वापस लिए गए
- हिंसा बढ़ने की वजह से रिव्यू प्रॉसेस धीमा हो गया
- अब 2015 से अब तक के केस रिव्यू किए गये
- रिव्यू के बाद 4327 नौजवानों पर दर्ज 744 केस वापस लिए गए
इस बारे में जानकारी देते हुए राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि इसके तहत साल 2008 से 2014 के बीच युवाओं पर लगाए गए मुकदमों की समीक्षा का काम शुरु हुआ था, जिसके बाद अपने पहले फैसले में सरकार ने 634 युवाओं पर लगे 104 मुकदमों को वापस लिया था। इसके बाद बुधवार को सीएम के आदेश के बाद 4,327 युवाओं पर लगाए गए कुल 744 मुकदमों को वापस लेने का निर्णय लिया गया है।
वहीं सीएम महबूबा मुफ्ती की ये मंशा थी कि मुकदमों को वापस लेने से घाटी के युवाओं को उनके भविष्य के निर्माण के लिए एक नया मौका मिल सकेगा, साथ ही घाटी के युवाओं के लिए एक ऐसे माहौल का भी निर्माण हो सकेगा जिसमें वे अपने जीवन को एक सकारात्मक दिशा दे सकें। पत्थरबाज़ो को मुख्यधारा में लाने की ये बड़ी कोशिश है, उम्मीद है कि इस कदम के बाद घाटी में माहौल और सकारात्मक बनेगा।