नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने 15 दिसंबर को जामिया हिंसा को लेकर कांग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ खान का नाम अपनी एफआईआर में आरोपी के रूप में दर्ज किया है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पूर्व विधायक का नाम छह अन्य आरोपियों के साथ दर्ज किया गया है। बाकी छह आरोपियों की पहचान स्थानीय नेताओं आशु खान, मुस्तफा और हैदर, एआईएसए सदस्य चंदन कुमार, एसआईओ सदस्य आसिफ तन्हा और सीवाईएसएस सदस्य कासिम उस्मानी के तौर पर की है।
बता दें कि सोमवार को दिल्ली पुसिल के प्रवक्ता एम एस रंधावा ने बताया कि “जामिया हिंसा के दौरान चार डीटीसी बसें, 100 निजी वाहन और 10 पुलिस बाइक क्षतिग्रस्त हुई हैं।” उन्होंने कहा कि “लगभग 30 पुलिसकर्मियों को चोट आई, दो SHO को फ्रैक्चर हुआ, हमारा एक जवान आईसीयू में है। मारपीट और आगजनी के लिए 2 FIR दर्ज की गई हैं। क्राइम ब्रांच सभी नजरियों से मामले की जांच करेगी।”
जामिया हिंसा रविवार को शुरू हुई थी, जो सोमवार को भी जारी रही थी। हालांकि, मंगलवार को जामिया में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन हुआ। मंगलवार को भी जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हजारों लोग प्रदर्शन में शामिल हुए। सर्द मौसम की परवाह न करते हुए प्रदर्शनकारियों ने सुबह करीब 10 बजे विश्वविद्यालय के गेट नंबर 7 पर जमा होना शुरू कर दिया। उनके हाथों में तिरंगे तथा पोस्टर थे। दिन चढ़ते-चढ़ते भीड़ बढ़ने लगी।
कई लोग मोटरसाइकिलों और कारों से प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे। इस दौरान ‘ज्यादती से आजादी’, ‘आवाज दो, हम एक हैं’ जैसे नारे लग रहे थे। कई लोगों ने हाथों में ‘‘हमें चाहिए बराबरी’’ की तख्ती ली हुई थी। महिलाओं समेत कुछ प्रदर्शनकारियों ने गेट संख्या 7 के बाहर घेरा बनाया तो कई लोगों ने पीली रस्सियों के सहारे मानव श्रृंखला बनाई। महिलाओं के नेतृत्व वाले समूहों को भी आवासीय इलाकों की संकरी गलियों में मार्च निकालते और लोगों से घरों से बाहर आकर ‘‘न्याय के लिये प्रदर्शन’’ का हिस्सा बनने का अनुरोध करते देखा गया।
स्कूली बच्चों की बसें जब इन इलाकों से होकर गुजरीं तो उन्होंने बसों से हाथ निकालकर तख्तियां दिखाईं जिनपर लिखा था ‘‘हम न्याय चाहते’’ हैं। महिलाओं के एक समूह ने पोस्टर पकड़ रखे थे जिस पर आंखों पर पट्टी बंधी एक महिला की आंखों से खून बहता दिख रहा था और वे गाना गा रही थीं ‘‘सारे जहां से अच्छा’’। एक कार की विंडस्क्रीन पर एक पोस्टर चिपका था जिसमें एक पुलिसकर्मी हाथ में डंडा लिये नजर आ रहा था। इस पोस्टर पर संदेश लिखा था: ‘‘जो लोग हिंसा फैला रहे हैं, उनकी पहचान उनके कपड़ों से की जा सकती है।’’
शाम करीब चार बजे के बाद 30 वकीलों का एक समूह भी प्रदर्शन में शामिल हुआ। वकीलों में से एक डी एस बिंद्रा ने कहा, ‘‘हम प्रदर्शनकारियों को नैतिक समर्थन देने और घायल छात्रों से मिलने के लिये यहां आए हैं।’’