पटना | बिहार के शहरी और आवास विकास मंत्रालय ने दावा किया है कि वह अगले तीन महीनों में 30 शहरों में हर घर में नल का जल उपलब्ध कराएगा। हर घर तक नल का पानी पहुंचाना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस को बताया कि नीतीश कुमार सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान हर घर में पाइपलाइन को जोड़ने का काम प्रमुख योजनाओं में से था।
उन्होने कहा कि, "परियोजना की समय सीमा दिसंबर 2020 थी, हालांकि, कुछ शहरों में पाइपलाइनों की स्थापना अभी भी चल रही है। उम्मीद है कि यह काम मार्च 2021 तक पूरा हो जाएगा"। अधिकारी ने कहा कि पाइपलाइनों को जोड़ने में देरी हुई क्योंकि पटना, मुजफ्फरपुर, गया जैसे कुछ शहरों में पुरानी पाइपलाइनों को नई जगह से बदलना बहुत मुश्किल था, क्योंकि वह पुरानी हैं और अनियोजित तरीके से विकसित की गई हैं।
मुजफ्फरपुर में समस्या का हवाला देते हुए, अधिकारी ने कहा कि पहले प्रस्ताव को 98 करोड़ रुपये में पूरा करने का लक्ष्य था, लेकिन यह राशि पर्याप्त नहीं थी, इसलिए प्राधिकरण ने अब अधिक धनराशि जारी की है। उन्होंने कहा, "प्रस्ताव 18 ओवरहेड वॉटर टैंक और 95 पंप हाउस को पूरा करने के लिए है और कंपनी को दी गई समय सीमा में प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कहा गया है।"
आंकड़ों के अनुसार, आरा में 10,021 घर, बगहा में 21,524, बिहारशरीफ में 24,000, हाजीपुर में 14,135, जहानाबाद में 4,900, किशनगंज में 6,320, मोतिहारी में 15,751 और सासाराम में 6,722 घरों में या तो पाइपलाइनों की स्थापना हुई है। या फिर काम पूरा हो गया है या चल रहा है। अधिकारी ने कहा कि सीवान के लिए 37.17 करोड़ रुपये, छपरा के लिए 56.25 रुपये और जमालपुर शहर के लिए 59.30 करोड़ रुपये और ओवरहेड पानी के टैंकों के साथ-साथ बूस्टर स्टेशनों के निर्माण के लिए मंजूरी दी गई है।
परियोजना की कुल लागत 2,184 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, इन शहरों में 182.34 करोड़ रुपये की लागत से एक स्टॉर्म जल निकासी कार्यक्रम एक साथ चल रहा है। अधिकारी ने कहा कि राज्य के शहरी और आवास विकास मंत्रालय का एक प्रस्ताव सोमवार को मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा गया, जिसमें 70 नगर पंचायतों को विकसित करने के लिए मंजूरी मांगी गई, ताकि सड़क, पानी की आपूर्ति, बिजली की आपूर्ति, स्ट्रीट लाइट जैसी समस्याओं को दुरुस्त किया जा सके। बिहार शहरी और आवास विकास मंत्रालय कुल लागत का केवल 11 प्रतिशत वहन कर रहा है, जबकि केंद्र शेष राशि में योगदान दे रहा है।