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भारत-चीन के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलेगी? विदेश मंत्रालयों के बीच बनेगी हॉटलाइन

भारत और चीन ने एक दूसरे के बीच मदभेद दूर करने के लिए नई पहल शुरू की है। इसके तहत दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच बातचीत के लिए हॉटलाइन बनेगी।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: February 26, 2021 10:43 IST
भारत-चीन के विदेश...- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO भारत-चीन के विदेश मंत्रालयों के बीच बातचीत के लिए बनेगी हॉटलाइन

नई दिल्ली: भारत और चीन ने एक दूसरे के बीच मदभेद दूर करने के लिए नई पहल शुरू की है। इसके तहत दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच बातचीत के लिए हॉटलाइन बनेगी। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग ली के बीच शुक्रवार सुबह टेलिफोन पर बातचीत हुई, दोनो नेताओं के बीच बातचीत लगभग 75 मिनट तक चली। दोनो नेताओं ने लद्दाख में LAC के मौजूदा हालात तथा भारत और चीन के बीच के संबंधों पर चर्चा की।

बातचीत के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी विदेशमंत्री को बताया कि भारत और चीन के बीच सीमा कों लेकर उठे सवालों का हल होने में समय लग सकता है लेकिन इस क्षेत्र में माहौल बिगड़ने से दोनों देशों के रिश्ते प्रभावित होंगे। विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि चीनी विदेश मंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रबंधन और नियंत्रण को सुधारने की बात कही है। विदेश मंत्रालय के अनुसार दोनो पक्षों ने बाकी बचे हुए मसलों के जल्द निपटारे पर सहमति जताई है।

वहीं, आपको बता दें कि भारत ने बृहस्पतिवार को कहा था कि चीन के साथ पीछे हटने के समझौते के तहत देश ने अपनी कोई जमीन नहीं खोई बल्कि एकतरफा ढंग से यथास्थिति में बदलाव के प्रयास को रोकने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएससी) की निगरानी की व्यवस्था लागू की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने आनलाइन माध्यम से संवाददाताओं से कहा था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत की स्थिति और साझा रूप से पुन: तैनाती को लेकर कोई बदलाव नहीं आया है और पीछे हटने की प्रक्रिया को गलत ढंग से पेश नहीं किया जाना चाहिए।

लद्दाख में पैंगोंग झील क्षेत्र में पीछे हटने की प्रक्रिया के बारे में एक सवाल के जवाब में प्रवक्ता ने कहा था कि वास्तुस्थिति के बारे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा मंत्रालय के बयान में अच्छी तरह स्थिति स्पष्ट की गई है। इसमें मीडिया में आई कुछ गुमराह करने वाली और गलत टिप्पणियों के बारे में स्थिति स्पष्ट की गई है। श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘इस समझौते की वजह से भारत ने अपनी कोई जमीन नहीं खोई। इसके विपरीत, उसने एलएसी पर निगरानी लागू की और एकतरफा ढंग से यथास्थिति में बदलाव को रोका।’’

गौरतलब है कि दोनों देशों की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में कई महीने तक जारी गतिरोध के बाद उत्तरी और दक्षिणी पैंगोंग क्षेत्र से अपने अपने सैनिकों एवं हथियारों को पीछे हटा लिया था। हालांकि कुछ मुद्दे अभी बने हुए हैं। समझा जाता है कि बातचीत के दौरान भारत ने गोगरा, हाट स्प्रिंग, देपसांग जैसे क्षेत्रों से भी तेजी से पीछे हटने पर जोर दिया था।

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