जयपुर: 'जी जयपुर साहित्य महोत्सव' (जेएलएफ) का गुरुवार सुबह शुभारंभ हो गया लेकिन राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे महोत्सव का उद्घाटन करने नहीं पहुंची। इस पांच दिवसीय महोत्सव का उद्घाटन राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा और ब्रिटिश मूल के अमेरिकी कहानीकार और उपन्यासकार पिको अय्यर ने किया।
इस दौरान फिक्शन से लेकर नॉन फिक्शन, पत्रकारिता और यात्रा वृत्तांत जैसे विषयों पर 200 से अधिक सत्र होंगे।
महोत्सव के निर्माता संजय रॉय ने अपने संबोधन में आगंतुकों से संस्कृति की क्षमता और महत्व समझने का आग्रह करते हुए कहा, "हम जानते हैं कि कला एवं संस्कृति समाज की प्रेरक शक्ति है। आज के समय में यह महत्वपूर्ण है कि नागरिक संस्कृति के महत्व को समझें।" रॉय ने यह भी उल्लेख किया कि लोकतंत्र में असहमति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है लेकिन इसे कानून के दायरे में ही अभिव्यक्त करना सुरक्षित है।
उन्होंने कहा, "लेखक और कलाकार कल्पनाओं के संसार में रहते हैं। समाज के कुछ खास समूह हो सकता है कि लेखकों द्वारा लिखी गई प्रत्येक किताब से सहमत न हों, फिल्मकारों की हर फिल्म से सहमत न हों और किसी कलाकार की हर कलाकृति से सहमत न हों लेकिन वे इन बेशकीमती कार्यो में जान डालने के लिए अपनी जान तक दे देते हैं।"
संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत को लेकर देश के कई हिस्सों में श्री राजपूत करणी सेना ने उत्पात मचाया हुआ है, जिसके चलते प्रशासन किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचने के लिए सुरक्षा के अतिरिक्त कदम उठा रहा है। इस तथाकथित समूह के अध्यक्ष महिपाल सिंह ने चेतावनी दी है कि यदि इस महोत्सव में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष प्रसून जोशी को बुलाया गया तो वे इसका विरोध करेंगे।
महोत्सव के सहनिर्देशक विलियम डालरिंपल ने अपनी 11 वर्ष की यात्रा को याद करते हुए कहा कि दुयिनाभर में सैकड़ों की संख्या में साहित्यिक कार्यक्रम होते हैं लेकिन सिर्फ चार या पांच ही ऐसे हैं, जहां पुरस्कार विजेता लेखकों की जमात इकट्ठा होती है। उन्होंने कहा, "और हमारा महोत्सव ही ऐसा एकमात्र महोत्सव है जहां सभी के लिए निशुल्क प्रवेश है। हम विश्व के सबसे बड़े साहित्यिक महोत्सव का आयोजन करते हैं।"
पिको अय्यर ने अपने संबोधन में कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया के कई हिस्सों में बुकस्टोर और प्रकाशन बंद हो चुके हैं। भारत में नई बुकशॉप, प्रकाशक और पाठक हैं।