पंचकूला: स्वयंभू संत गुरमीत राम रहीम सिंह को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। अदालत द्वारा राम रहीम को सजा सुनाए जाने के बाद पीड़ित पत्रकार के परिवार ने संतोष व्यक्त किया है। हालांकि परिवार ने उसके लिए मौत की सजा की मांग की थी। एक विशेष सीबीआई अदालत ने 2002 में हरियाणा के सिरसा में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में गुरुवार को राम रहीम और 3 अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
छत्रपति के अखबार में एक अज्ञात पत्र के हवाले से डेरा मुख्यालय में राम रहीम द्वारा महिलाओं के यौन उत्पीड़न की खबर प्रकाशित हुई। उसके बाद उनकी हत्या कर दी गई। छत्रपति के परिवार ने 2003 में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो से कराने की मांग की थी। जांच बाद में CBI को सौंप दी गई, जिसने जुलाई 2007 में आरोपपत्र दायर किया था। इस सिलसिले में चारों को पिछले शुक्रवार को दोषी ठहराया गया था।
पत्रकार की बेटी श्रेयसी छत्रपति ने कहा, ‘हालांकि हमने मौत की सजा मांगी थी लेकिन यह सजा मौत की सजा से कम नहीं है क्योंकि वह अपने जीवन में जेल से बाहर नहीं आ सकेगा। वह अपने अंतिम सांस तक सलाखों के पीछे रहेगा।’ उन्होंने कहा, ‘गुरमीत हर दिन अपने अपराध को याद करेगा और फिर जेल में रोएगा। अदालत ने जो सजा सुनाई है, हम उससे संतुष्ट हैं।’ उनके भाई अंशुल छत्रपति ने भी सजा पर संतोष व्यक्त किया।