नई दिल्ली: नागरिकता कानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग के बाद अब जाफराबाद में भी धरना प्रदर्शन शुरू हो गया है। यहां शाहीन बाग की तर्ज पर ही महिलाएं जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर जमा हो गईं है और एक तरफ की सड़क जाम कर दी। शनिवार की रात को यहां अचानक ही महिलाओं ने पहुंचकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए प्रशासन ने भारी संख्या में पुलिसवाल की तैनाती कर दी है।
दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (DMRC) ने जाफराबाद मेट्रो स्टेशन को बंद कर दिया है। यहां एंट्री और एग्जिट को फिलहाल की स्थिति के मद्देनजर क्लोज कर दिया गया है। मेट्रो भी जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर नहीं रोकी जा रही है। DMRC ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी। DMRC ने ट्वीट में लिखा कि 'सुरक्षा अपडेट, जाफराबाद की एंट्री और एग्जिट बंद कर दी गई है। इस स्टेशन पर ट्रेन नहीं रुकेगी।'
बता दें कि यमुनापार में शास्त्री पार्क, कर्दमपुरी, श्रीराम कॉलोनी, सुंदर नगरी, चांद बाग, मुस्तफाबाद, और जाफराबाद में पिछले डेढ़ महीने से शाहीन बाग की तरह सीएए के विरोध में धरना चल रहा है। धरने पर बैठीं महिलाएं राजघाट तक मार्च निकालना चाहती थीं लेकिन पुलिस से इजाजत नहीं मिली। मार्च के मद्देनजर एतिहात के तौर पर शनिवार रात से ही जाफराबाद रोड पर पुलिस और अर्द्धसैनिक बल तैनात कर दिया गया था।
पुलिस तैनात होते ही जाफराबाद में तनाव का माहौल पैदा हो गया, जिसके बाद रात करीब साढ़े दस बजे धरने पर बैठी महिलाएं जाफराबाद मेट्रो स्टेशन की सड़क पर आ गई और मेट्रो स्टेशन के आस-पास जाम लगा दिया। जिसके बाद आला अफसर रात भर महिलाओं को मनाते रहे लेकिन महिलाओं ने सड़क नहीं छोड़ी। हालांकि, टू-वे सड़क की दूसरी तरफ से गाड़ियों की आवाजाही हुई।
वहीं, दूसरी ओर भीम आर्मी के प्रमुख चंद्र शेखर आजाद का दावा है कि जाफरादबाद मेट्रो स्टेशन पर जमा हुई महिलाएं उनके भारत बंद के आह्वान से धरने पर बैठी हैं। आजाद ने ट्वीट कर कहा, 'ऐतिहासिक भारत बंद की शुरुआत जाफराबद सीलमपुर दिल्ली से कर दी गई है, दिल्ली के साथी जाफराबाद पहुंचें। आज संवैधानिक दायरे में रहते हुए पूरा भारत बंद किया जाएगा। बीजेपी सरकार को बहुजनों की ताकत का अहसास करवाया जाएगा।'
आपको बता दें कि भीम आर्मी के प्रमुख चंद्र शेखर आजाद लगातार सीएए का विरोध कर रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने 23 फरवरी को भारत बंद का आह्वान किया था। हालांकि, चंद्र शेखर आजाद का ये भारत बंद सरकारी नौकरियों में प्रमोशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ था। फैसले के मुताबिक, 'सरकारी नौकरियों में प्रमोशन देने के लिए राज्य सरकार को बाध्य नहीं किया जा सकता। पदोन्नति में कोटा कोई मौलिक अधिकार नहीं है।'