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जब अपने मेंटर एमजीआर के शव के पास 3 दिन तक बैठी रहीं जयललिता

नई दिल्ली: करीब 56 साल पहले रुपहले पर्दे पर एंट्री और देखते ही देखते दक्षिण भारत की सबसे बड़ी एक्ट्रेस बन गईं। राजनीति में आईं तो बेहद कम समय में वो सफर तय किया कि

India TV News Desk
Updated on: December 05, 2016 23:28 IST

jayalalitha

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फिल्मों से राजनीति तक का सफर

फिल्मों में आने के कुछ ही बरसों में जयललिता की किस्मत ने पलटी मारी। रील लाइफ में एमजीआर के साथ बनी जोड़ी रियल लाइफ में भी उड़ान भरने लगी। जयललिता पॉलिटिक्स में आईं और तमिलनाडु में सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री बनीं। इसके बाद का सफर किसी चमत्कार से कम नहीं।

जयललिता कैसे बनीं तमिलनाडु की सबसे बड़ी लीडर ?

1977 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने एमजीआर ने जयललिता को राजनीति में लाया। 1982 में AIADMK के टिकट से जयललिता तमिलनाडु में विधायक बनीं और फिर पार्टी के चुनाव की प्रचार सचिव भी। यहीं से जयललिता की सिय़ासी तकदीर बदल गई और दो साल उन्हें राज्यसभा के लिए निर्वाचित किया तो ज़ाहिर हो गया कि एमजीआर की असल उत्तराधिकारी वही हैं।

गोद लिए हुए बेटे की शाही शादी

बतौर सीएम जयललिता का पहला कार्यकाल बेहद दागदार रहा। उस दौर में जयललिता को लगातार भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना करना पड़ा। इसी बीच गोद लिए हुए बेटे सुधाकरण की 1995 में शादी हुई और इस शादी में जयललिता का शादी अंदाज सामने आया। ये तमिलनाडु के अम्मा के शाही अंदाज की मुनादी थी लेकिन जयललिता इन सारे आरोपों को खारिज कर दिया। इसके बाद 1996 में हुए चुनाव में जयललिता चुनाव हार गईं, तो ये उनके लिए सबसे मुश्किल वक्त साबित हुआ।

उनके घर छापे पड़े तो 896 किलो चांदी, 28 किलो सोना, 10 हजार साड़ियां, 750 जूते और 51 घड़ियां बरामद हुईं। सबके लिए अम्मा के भ्रष्टाचार को कटघरे में खड़ा किया गया। लेकिन तमाम आरोपों ने जयललिता को मजबूत बनाया और 2001 के चुनावों में तमिलनाडु की जनता ने जयललिता की फिर सिर आंखों पर बिठाया। इस बार उन्होंने एक झटके में दो लाख हड़ताली सरकार कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया जिसके बाद जयललिता का आयरन लेडी अवतार सामने आ गया।

भ्रष्टाचार के आरोपों ने जयललिता को पहुंचा दिया जेल की सलाखों के पीछे

2006 का चुनाव जयललिता हार गईं लेकिन पांच साल बाद 2011 में उन्होंने फिर वापसी की लेकिन इस कार्यकाल में तीन साल बाद जयललिता पर भ्रष्टाचार के लगे पुराने आरोपों ने उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। करीबियों को भी 4 साल जेल की सज़ा हुई लेकिन इस झटके के बावजूद जयललिता टूटी नहीं। उन्होंने जेल की सज़ा के आदेश का सामना किया और फिर उसे चुनौती भी दी। बाद में जयललिता तमाम आरोपों से बरी हुई और 2015 में दोबारा तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं।

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