भोपाल: मध्यप्रदेश सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग ने निर्णय लिया है कि प्रदेश में एक अभिभावक के बच्चों को स्कूल में प्रवेश के दौरान उनके पिता का नाम लिखवाने की अनिवार्यता नहीं होगी।
मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग (एमपीएचआरसी) की सिफारिश पर प्रदेश के स्कूली शिक्षा विभाग ने सभी जिला कलेक्टरों को पत्र लिखकर अपने क्षेत्र के सभी स्कूलों में इस निर्णय से अवगत कराते हुए इसका कड़ाई से पालन करने का आदेश दिया है।
प्रदेश के स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री दीपक दोषी ने बताया कि एमपीएचआरसी ने इस सबंध में सिफारिश की थी और हमारा भी मत है कि बच्चे की एकमात्र अभिभावक और दुष्कर्म पीडि़ता का सम्मान बना रहना चाहिये। इसलिये स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश में सभी शासकीय एवं अशासकीय स्कूलों में दुष्कर्म से जन्म लेने वाले बच्चों को प्रवेश के समय उसके पिता का नाम नहीं पूछने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा कि एक समाज में हम दुष्कर्म पीड़िता के मान सम्मान को ठेस पहुंचाना नहीं चाहते हैं। दुष्कर्म पीड़िता पहले ही एक प्रकार के मानसिक आघात से गुजर चुकी होती है। इसलिए यदि पीड़ित मां चाहती है तो इस प्रकार जन्में बच्चों का स्कूल में पिता का नाम लिखवाना अनिवार्य नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी में नहीं है कि देश की किसी अन्य राज्य में इस तरह का निर्णय लिया गया है।