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सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने उठाये कृषि संकट, जम्मू-कश्मीर में चुनाव और बेरोजगारी के मुद्दे

बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, के सुरेश, नेशनल कान्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला और तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन उपस्थित थे।

Reported by: Bhasha
Published on: June 16, 2019 18:58 IST
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Image Source : PTI सर्वदलीय बैठक के लिए जाते विपक्ष के नेता

नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र से एक दिन पहले कांग्रेस ने रविवार को सरकार के साथ बातचीत में बेरोजगारी, कृषि संकट, सूखा और प्रेस की आजादी जैसे विषय उठाये, वहीं जम्मू कश्मीर में जल्द विधानसभा चुनाव कराने की भी मांग की। सरकार द्वारा बुलाई गयी सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों ने संसद में ऐसे सभी विषयों पर चर्चा की मांग की। उधर कांग्रेस ने कहा कि विचारधाराओं की लड़ाई अब भी है।

बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, के सुरेश, नेशनल कान्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला और तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन उपस्थित थे।

विपक्ष ने महिला आरक्षण विधेयक के मुद्दे को भी पुरजोर तरीके से उठाया और तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय और ओब्रायन ने कहा कि विधेयक को संसद के इसी सत्र में सूचीबद्ध किया जाए और पारित कराया जाए। विपक्ष ने संघवाद के कमजोर होने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि राज्यों पर जानबूझकर निशाना साधा जाना अस्वीकार्य है।

आजाद ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने सरकार को बधाई दी। लेकिन इसके साथ हमने उन्हें यह भी बताया कि यह विचारधाराओं की लड़ाई है, यह विचारधाराओं की लड़ाई थी और विचारधाराओं की लड़ाई रहेगी।’’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी धर्मनिरपेक्ष ताकतों की बुनियाद है और हमेशा इस भावना को जीवित रखे रहने के लिए काम करते रहेगी, चाहे सरकार में हो या विपक्ष में। आजाद ने कहा, ‘‘सत्ता से बाहर रहते हुए भी हम किसानों, मजदूरों और महिलाओं के उत्थान के लिए काम करते रहेंगे। हमने यह भी कहा कि कुछ मुद्दे हैं जिन पर सरकार को ध्यान देना चाहिए जिनमें किसानों के मुद्दे, सूखा, पेयजल की कमी और देश में बढ़ती बेरोजगारी हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने प्रेस की आजादी, पत्रकारों के प्रति सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं के व्यवहार के मुद्दे को भी उठाया। पत्रकारों की पिटाई की जा रही है और उनकी आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है। हमने इसकी निंदा की और सरकार से इस पर ध्यान देने का अनुरोध किया।’’

आजाद के अनुसार कांग्रेस ने सरकार को बताया कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार कहती है कि चुनाव के लिए माहौल सही नहीं है और दूसरी तरफ केंद्र कहता है कि पिछले साल पंचायत चुनाव शांति से कराये गये। हाल ही में लोकसभा चुनाव भी कराये गये जो राज्य में शांतिपूर्ण तरीके से हुए। आजाद ने कहा, ‘‘हमने सरकार से कहा कि आप चुनाव इसलिए नहीं करा रहे क्योंकि भाजपा सरकार नहीं बनेगी। इसलिए आप राज्यपाल के शासन के माध्यम से राज्य को चलाना चाहते हैं।’’

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को तीन जुलाई से छह और महीने के लिए बढ़ाने को मंजूरी प्रदान की थी। तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव में सरकारी खर्च और मतपत्र समेत चुनाव सुधार के मुद्दे उठाये। पार्टी ने सरकार द्वारा अध्यादेशों को लागू किये जाने पर चिंता जताते हुए कहा कि संविधान की भावना के अनुरूप आपात स्थिति में ही अध्यादेश का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। बंदोपाध्याय और ओब्रायन ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से सोलहवीं लोकसभा में इसका अत्यधिक इस्तेमाल किया गया। 70 साल में सबसे ज्यादा अध्यादेश।’’

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