नई दिल्ली: लैंडर विक्रम से भले ही 2.1 किलोमीटर पर इसरो के कंट्रोल रूम का संपर्क टूट गया हो लेकिन अब इसरो समेत पूरे देश की नजरें ऑर्बिटर पर टिक गई है। ऑर्बिटर पहले ही लैंडर विक्रम से अलग हो चुका है और फिलहाल चांद के चारों तरफ चक्कर काट रहा है। ऑर्बिटर करीब एक साल तक चांद का चक्कर काटेगा और वहां की अहम जानकारी इसरो को भेजेगा। ऐसे में अब चांद के अगले अभियानों के लिए ऑर्बिटर से मिलने वाली जानकारी अहम हो सकती हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने के अनुरोध के साथ बताया, 'मिशन का सिर्फ पांच प्रतिशत -लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर- नुकसान हुआ है, जबकि बाकी 95 प्रतिशत -चंद्रयान-2 ऑर्बिटर- अभी भी चंद्रमा का सफलतापूर्वक चक्कर काट रहा है।'
एक साल मिशन अवधि वाला ऑर्बिटर चंद्रमा की कई तस्वीरें लेकर इसरो को भेज सकता है। अधिकारी ने कहा कि ऑर्बिटर लैंडर की तस्वीरें भी लेकर भेज सकता है, जिससे उसकी स्थिति के बारे में पता चल सकता है।
बता दें कि चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान में तीन खंड हैं -ऑर्बिटर, विक्रम और प्रज्ञान। विक्रम दो सितंबर को आर्बिटर से अलग हो गया था। चंद्रयान-2 को इसके पहले 22 जुलाई को भारत के हेवी रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हिकल-मार्क 3 (जीएसएलवी एमके 3) के जरिए अंतरिक्ष में लांच किया गया था।
इसरो के एक वैज्ञानिक के अनुसार, लैंडर का नियंत्रण उस समय समाप्त हो गया होगा, जब नीचे उतरते समय उसके थ्रस्टर्स को बंद किया गया होगा और वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया होगा, जिसके कारण संपर्क टूट गया।