नयी दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) गृह मंत्रालय के लिए एक विशिष्ट उपग्रह प्रक्षेपित करेगा ताकि उसे पाकिस्तान, चीन सहित अन्य देशों से लगी अपनी सीमाओं को और मजबूत बनाने में मदद मिल सके। बृहस्पतिवार को गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गयी है। यह कदम सीमा प्रबंधन के सुधार में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग को लेकर एक कार्य बल द्वारा की गयी सिफारिशों का हिस्सा है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है।
बयान के अनुसार परियोजना को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए लघु, मध्यम और दीर्घकालीन योजना का प्रस्ताव किया गया है जिसे पांच वर्षों में पूरा किया जाएगा। इसके लिए इसरो और रक्षा मंत्रालय के साथ नजदीकी सहयोग किया जाएगा। इसमें कहा गया है कि सीमा आधारभूत ढांचा विकास और सीमा की रक्षा करने वाले बलों की क्षमता बढ़ाने के लिए रिपोर्ट में कई सुझाव दिए गए हैं। लघु कालीन आवश्यकताओं के तहत सीमा की रक्षा करने वाले बलों के लिए ‘‘हाई रिजॉल्यूशन इमेजरी’’ खरीदी जाएगी और संचार के लिए बैंडविथ का प्रबंध किया जाएगा।
मध्यम अवधि की आवश्यकता के तहत इसरो एक उपग्रह प्रक्षेपित कर रहा है जिसका इस्तेमाल केवल गृह मंत्रालय ही करेगा। दीर्घकालीन अवधि के तहत गृह मंत्रालय नेटवर्क आधारभूत ढांचा विकसित करेगा ताकि अन्य एजेंसियां उपग्रह संसाधनों को साझा कर सकें। इसके अलावा दूरदराज के इलाकों में केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती उपग्रह संचार से समन्वित की जाएगी। भारत की सीमाएं पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्यामां से लगती हैं।
बयान में कहा गया है कि अंतरिक्ष विभाग की मदद से गृह मंत्रालय इस परियोजना का कार्यान्वयन करेगा। इस परियोजना से द्वीपीय एवं सीमा सुरक्षा को मजबूती मिलेगी और सीमा एवं द्वीपीय क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे के विकास में मदद मिलेगी।
गृह मंत्री ने सीमा प्रबंधन में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी संबंधी कार्यबल की रिपोर्ट स्वीकार कर ली है। गृह मंत्रालय ने कार्यबल का गठन इसलिए किया था ताकि सीमा प्रबंधन के सुधार में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के लिए क्षेत्रों की पहचान की जा सके।
कार्य बल का नेतृत्व संयुक्त सचिव (सीमा प्रबंधन) ने किया और इसके सदस्यों में सीमा सुरक्षा बल, अंतरिक्ष विभाग तथा सीमा प्रबंधन प्रभाग के प्रतिनिधि शामिल थे। कार्य बल ने इसरो और रक्षा मंत्रालय सहित विभिन्न पक्षों के साथ विचार विमर्श के बाद रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया।