Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. इसरो को देश में चांद जैसी मिट्‌टी बनाने की तकनीक का मिला पेटेंट, चंद्रयान-2 मिशन के दौरान बनाई थी

इसरो को देश में चांद जैसी मिट्‌टी बनाने की तकनीक का मिला पेटेंट, चंद्रयान-2 मिशन के दौरान बनाई थी

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) ने चंद्रयान मिशन 2 को लेकर एक और उपलब्धि अपने नाम कर ली है। इसरो को चांद जैसी मिट्‌टी बनाने की तकनीक का पेटेंट मिल गया है। 

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: May 21, 2020 13:04 IST
ISRO, patent, moon soil, Chandrayaan 2 mission - India TV Hindi
Image Source : PTI ISRO got patent for moon soil made in the country during Chandrayaan 2 mission 

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) ने चंद्रयान मिशन 2 को लेकर एक और उपलब्धि अपने नाम कर ली है। इसरो को चांद जैसी मिट्‌टी बनाने की तकनीक का पेटेंट मिल गया है। दरअसल, इसरो ने चंद्रयान-2 की लैंडिंग के दौरान भारत में ही चंद्रमा जैसी सतह तैयार की थी। इस पर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को टेस्ट किया गया था। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, बीते 18 मई को भारतीय पेटेंट कार्यालय ने इसरो को इस तकनीक के लिए पेटेंट दिया। इसरो ने पेटेंट के लिए 15 मई 2014 को आवेदन किया था। पेटेंट आवेदन करने की तारीख से 20 साल तक के लिए मान्य रहेगा।

बता दें कि, परिक्षण के लिए चंद्रमा जैसी मिट्‌टी बनाने की तकनीक खोजने में इसरो के शोधकर्ता आई वेणुगोपाल, एसए कन्नण, शामराओ, वी चंद्रबाबू ने अहम भूमिका निभाई थी। शोध टीम में तमिलनाडु की पेरियार यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ जियोलॉजी से एस अनबझगन, एस अरिवझगन, सीआर परमशिवम और एम चिन्नामुथु तिरुचिरपल्ली के नेशनल इस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के मुथुकुमारन शामिल थे। 

दरअसल, चांद और धरती की सतह बिल्कुल अलग है। इसलिए हमें कृत्रिम मिट्टी बनानी पड़ी जो बिल्कुल चांद की सतह जैसी दिखती। अगर यह मिट्टी हमें अमेरिका से खरीदनी पड़ती तो हमें बहुत महंगी पड़ती, क्योंकि हमें 70 टन मिट्टी की जरूरत थी। रूस ने भी हमारी मदद करने से इनकार कर दिया था। तमिलनाडु के सालेम में एनॉर्थोसाइट नाम की चट्टानें हैं। यहां की चट्टानों की मिट्टी बिल्कुल चांद की सतह जैसी है। यहीं की मिट्टी लाकर इसरो में चांद की सतह तैयार की गई।

इसरो के यूआर सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) के डाइरेक्टर रह चुके एम अन्नादुरई ने एक न्यूज एजेंसी को बताया, 'चांद और पृथ्वी की सतह बिल्कुल अलग है। इसलिए हमें लैंडर और रोवर की टेस्टिंग के लिए आर्टिफिशियल मिट्‌टी बनानी बड़ी, जो बिल्कुल चांद की सतह जैसी दिखती हो। अमेरिका से चांद की मिट्‌टी जैसे पदार्थ खरीदना बहुत महंगा सौदा साबित होता और इसरो को करीब 70 टन मिट्‌टी की जरूरत थी। इसलिए एक स्थायी समाधान निकालना जरूरी था।' एम अन्नादुरई ने बताया कि तमिलनाडु के सालेम में एनॉर्थोसाइट नाम की चट्‌टानें हैं, जो चांद पर मौजूद चट्‌टानों से मेल खाती हैं। वैज्ञानिकों ने पहले उन चट्‌टानों को पीसा फिर उसे बेंगलुरु लेकर आए। यहां पर इसे चांद की सतह के लिहाज से बदला गया और फिर टेस्टिंग साइट तैयार की। यह मिट्‌टी चांद की सतह से बिल्कुल मिलती है और अपोलो-16 के जरिए चांद से लाए गए सैंपलों से भी मेल खाती है। 

चंद्रमा पर दो तरह की सतह है

चंद्रमा की सतह दो तरह की है। पहली को हाईलैंड कहते हैं। इसकी जैसी मिट्‌टी इसरो ने तैयार की थी। चंद्रमा का 83 प्रतिशत भाग हाईलैंड का ही है। इस सतह में एल्युमिनियम और कैल्शियम ज्यादा होता है। दूसरी सतह मेयर है। चंद्रमा पर दिखने वाले काले गड्‌ढों के भीतर की सतह को मेयर कहते हैं। इसमें आयरन, मैग्नीशियम और टाइटेनियम होता है। बहुत कम देश हैं, जिन्होंने चंद्रमा की हाईलैंड सतह को आर्टिफिशयल तौर पर अपने देश में बनाया है।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement