बेंगलुरू। सितंबर 2019 में चंद्रमा की तरह पर चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की सफल लैंडिंग नहीं हो सकी थी। आखिर ऐसी क्या तकनीकी खामी आई थी जिस वजह से लैंडर विक्रम इतिहास रचने से चूक गया था? बुधवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष के शिवन ने इसके बारे में जानकारी दी। ISRO चीफ के शिवन ने बताया कि चंद्रयान-2 में पावर डिसेंट के दौरान दूसरे चरण में यान का वेग कम नहीं हो पाया, इसके चलते अगले चरण में इसे कंट्रोल नहीं किया जा सका और लैंडर विक्रम की हार्ड लैंडिंग हो गयी।
के शिवन ने यह भी बताया कि इस साल ISRO अब चंद्रयान-3 पर काम कर रहा है और इसके लिए सरकार की अनुमति मिल चुकी है, उन्होंने बताया कि चंद्रयान-3 की लागत लगभग 600 करोड़ रुपए आएगी। चंद्रयान-2 की लागत लगभग 900 करोड़ रुपए थी। ISRO चीफ ने कहा कि लैंडर विक्रम भले ही क्रैश हो गया हो लेकिन ऑरबिटर अभी भी काम कर रहा है और जानकारी भेज रहा है और अगले 7 साल तक यह काम करता रहेगा।
ISRO चीफ ने यह भी बताया कि संगठन गगनयान पर भी काम कर रहा है और इसके लिए 4 अंतरिक्ष यात्रियों का चुनाव कर लिया गया है जिनकी ट्रेनिंग रूस में होगी, उन्होंने बताया कि चारो अंतरिक्ष यात्री इंडियन एयर फोर्स से हैं और जनवरी के तीसरे हफ्ते में इनकी ट्रेनिंग शुरू हो जाएगी। गगनयान को 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।