नई दिल्ली: राजधानी स्थित इजरायली दूतावास में कल शाम हुए ब्लास्ट की जिम्मेदारी जैश-उल-हिंद नाम के एक संगठन ने ली है। सुरक्षा एजेंसियां इस संगठन के दावे की जांच कर रही हैं। हालांकि ये किस तरह का संगठन है और इसके तार किसके साथ जुड़े हुए हैं इस बात की पुख्ता जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है। सुरक्षा एंजेंसियां इस बात की भी तफ्तीश कर रही हैं कि ये कोई स्लीपर सेल तो नहीं हैं।
बम छोटे से गड्ढे में दबाया गया था
सूत्रों के मुताबिक,अभी तक की तफ्तीश में पता चला है कि ब्लास्ट में IED के साथ बैटरी का इस्तेमाल हुआ था। धमाका होते ही बैटरी के टुकड़े हो गए, इन्हें तलाशने के लिए सुबह एक बार फिर से स्पेशल सेल की टीम मौके पर पहुँची थी। मौके का मुआयना करने के बाद यह पता चला कि बम छोटे से गड्ढे में दबाया गया था।
सोची-समझी साजिश
सूत्रों के मुताबिक मौके से जांच एजेंसी को ट्रायल लिखा हुआ जो लेटर मिला है वो डेढ़ पन्ने का है। इस लेटर को जल्दबाजी में नहीं बल्कि काफी साफ-सुथरी हैंड राइटिंग में लिखा गया है, जो साबित करता है कि ये महज शरारत नहीं बल्कि सोची-समझी साजिश है, जिसके तार विदेश से जुड़ हो सकते हैं।
छोटा धमाका बड़ा संदेश
सूत्रों के मुताबिक स्पेशल सेल को पक्का यकीन है कि ब्लास्ट से पहले रेकी भी की गई। जिसको लेकर आसपास के तमाम CCTV फुटेज खांगले जा रहे हैं ताकि सुराग हाथ लगे। जांच एजेंसी कैब ड्राइवर के लगातार सम्पर्क में है। स्पेशल सेल संदिग्धों का हुलिया जानकर स्केच बनाने की तैयारी में है। बलास्ट के पूरे तरीके से यह साफ है कि जिसने बम बनाया उसे इसमें महारत हासिल है। क्योंकि बम में IED, बैटरी, अमोनियम नाइट्रेट और बॉल बारिंग उसी मात्रा में और सही तरीके से डाले गए थे कि विस्फोट भी हो और ज्यादा नुकसान भी ना हो, यानी छोटा धमाका बड़ा संदेश।
अभी तक कि जांच में ये भी साफ है कि धमाका जिंदल हाउस के करीब किया गया है, जहां स्पॉट की तरफ ज्यादा सीसीटीवी कैमरे नहीं थे एक था उसमें टेक्निकल फाल्ट है। आसपास के तमाम सीसीटीवी फुटेज का डंप लिया गया है जिसको खंगाला जा रहा है।