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बड़ा खुलासा! कानपुर ट्रेन दुर्घटना के पीछे था ISI का हाथ, साजिश को यूं दिया गया था अंजाम

पाकिस्तान में बैठे ISI के आकाओं ने शम्सुल को पाकिस्तान भाग आने की सलाह दी थी, जबकि शम्सुल सिंगापुर जाना चाहता था...

Reported by: India TV News Desk
Updated : January 18, 2018 15:40 IST
Kanpur Train accident | PTI File Photo
Kanpur Train accident | PTI File Photo

पटना: बिहार के पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन रेल ट्रैक पर लगाए गए कूकर बम मामले के जरिए चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इस कूकर बम के तार कानपुर ट्रेन दुर्घटना से जुड़े हैं और ये दोनों ही मामले ISI की बहुत बड़ी साजिश का हिस्सा हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपराधियों ने 1 अक्टूबर 2016 में रेल ट्रैक पर कूकर बम प्लांट किया था जिसके लिए दुबई के अप्रवासी नेपाली कारोबारी शम्सुल होदा ने 3 लाख रुपये दिए थे। अपराधियों ने बम भी लगा दिया था लेकिन कुछ बच्चों ने लोगों को बम के बारे में बताया जिसके बाद एक बड़ी दुर्घटना होते-होते बच गई थी। पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार भी किया था और अब इस मामले से जुड़ी कई नई जानकारियां सामने आई हैं। 

इन्होंने रची थी साजिश

इस मामले में बम प्लांट कराने वाले ISI स्लीपर सेल के मेंबर पूर्वी चंपारण के आदापुर और रक्सौल थाना क्षेत्र निवासी मोती लाल पासवान, और उमाशंकर पटेल और मुकेश कुमार यादव ने बम प्लांट करने वाले दो लड़कों, अरुण राम और दीपक राम पर काम ने होन के बाद पैसा वापसी का दवाब बनाया। पैसा वापस नहीं करने पर नेपाल के कलैया ले जाकर दोनों लड़कों की हत्या कर दी गई। इन लड़कों के शव नेपाल के जंगल से 20 अक्टूबर को मिले थे। हत्या के आरोप में तीनों अपराधियों को गिरफ्तार भी कर लिया गया। इन्हीं अपराधियों में से एक आदापुर थाना क्षेत्र के मोती पासवान ने कानपुर रेल हादसा में हाथ होने की बात स्वीकार किया।

यूं रोक ली गई थी बड़ी दुर्घटना
दरअसल, 1 अक्टूबर 2016 को नेपाल की सीमा से सटे बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन रेलवे स्टेशन के आउटर सिग्नल के पास रेल पटरी से पुलिस ने शक्तिशाली बम बरामद किया था। बम की सूचना के बाद रक्सौल-दरभंगा रेलखंड पर रेल परिचालन रोक दिया गया था। बाद में बम के निष्क्रिय करने के बाद रेलों का परिचालन दोबारा प्रारंभ कर दिया गया था। नेपाल में अरुण राम और दीपक राम की ह्त्या के सिलसिले में पुलिस ने मोती पासवान, मुकेश यादव और उमाशंकर पटेल को हिरासत में लिया और उसकी निशानदेही पर नेपाल से ब्रजकिशोर गिरी को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया। 

ऑडियो क्लिप से हुआ दहलाने वाली साजिश का खुलासा
ब्रजकिशोर गिरी के मोबाइल से पुलिस को एक ऑडियो क्लिप बरामद हुआ जिसके बाद यह खुलासा हुआ की यह बम दुबई में व्यवसायी और अप्रवासी नेपाली शम्सुल होदा के इशारे पर यह बम प्लांट किया गया था। इसी बीच कानपुर के पोखरैया में इंदौर-पटना एक्सप्रेस को उड़ाया गया और इस मामले में मोतिहारी में गिरफ्तार मोती लाल पासवान ने खुलासा किया कि उसी ने इस घटना को अंजाम दिया है। दरअसल, नेपाल से गिरफ्तार ब्रिज किशोर गिरी के फोन से जो ऑडियो क्लिप मिला था उसी से कानपुर रेल हादसे की साजिश का खुलासा हुआ था। इस ऑडियो क्लिप को नेपाल पुलिस ने NIA समेत अन्य जांच एजेंसियों को सौंप दिया था।

शम्सुल को पाकिस्तान बुलाना चाहती थी ISI
कानपुर में हुए रेल हादसे का मास्टरमाइंड और ISI एजेंट शम्सुल होदा का नाम आते ही भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने दुबई सरकार पर दवाब बनाया कि शम्सुल होदा को उन्हें सौंपा जाए। इसी दौरान पाकिस्तान में बैठे ISI के आकाओं ने शम्सुल को पाकिस्तान भाग आने की सलाह दी थी, जबकि शम्सुल सिंगापुर जाना चाहता था। पर, भारत सरकार के दवाब के बाद उसे काठमांडू डिपोर्ट किया गया। 17 फरवरी 2017 को शम्सुल होदा को दुबई से डिपोर्ट किए जाने के बाद काठमांडू हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर लिया गया। नेपाल पुलिस ने अपने देश के नागरिक होदा को 3 अन्य आरोपियों के साथ अरुण राम और दीपक राम की दोहरे हत्याकांड मामले में गिरफ्तार किया। 

नेपाल पुलिस ने यूं की भारत की मदद
नेपाल के तत्कालीन पुलिस उप महानिरीक्षक पशुपति उपाध्याय ने गिरफ्तारी के बाद मिडिया को कहा था की शम्सुल होदा भारत के उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुए रेल हादसे में भी वांछित है। क्योंकि इस हादसे में 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। उन्होंने यह भी कहा की भारत में आपराधिक गतिविधियों में होदा की संलिप्तता के मामले में हम पड़ोसी देश के मिलकर काम करेंगे। शम्सुल होदा को काठमांडू में पूछताछ के बाद नेपाल के कलैया ले जाया गया, जहां उसके खिलाफ कानूनी कारवाई शुरू हुई और फिर उसे हितौडा जेल भेज दिया गया। काठमांडू में नेपाल पुलिस की स्पेशल ब्यूरो के साथ ही भारतीय NIA, IB और RAW की टीम भी शम्सुल से पूछताछ किया था। कानपुर रेल हादसा मामले में NIA ने 3 FIR दर्ज की जिसमें शम्सुल होदा के साथ मोती लाल पासवान के साथ शम्सुल होदा के साथ दुबई से डिपोर्ट किए गए 2 और गिरफ्तार भी आरोपी है। 

कौन है मोती पासवान?
मोती पासवान पूर्व चंपारण के आदापुर थाना के बखरी गांव का रहने वाला है। अरुण राम और दीपक राम भी इसी गांव के रहने वाले थे। बखरी गांव भारत-नेपाल बॉर्डर पर नेपाल बॉर्डर से सटा हुआ गांव है। मोती पासवान के खिलाफ पूर्वी चंपारण, शिवहर और सीतमाढ़ी में 14 के करीब लूट और हत्या के मामले दर्ज हैं।

कौन है शम्सुल होदा?
शम्सुल होदा नेपाल का रहनेवाला है और दुबई में बिजनेस करता था। सूत्रों के अनुसार होदा का पाकिस्तान के ISI और दाउद इब्राहिम से भी करीबी संबंध है। शम्सुल होदा ने नेपाल की राजनीति में भी किस्मत आजमाई और बाद में वह नेपाल में ही ISI के संपर्क में आने के बाद दुबई चला गया। ISI ने उसे बिहार नेपाल सीमा पर स्लीपर सेल बनाने का जिम्मा सौंपा। दुबई में रहने के दौरान शम्सुल होदा ने अपने लोगों के जरिए स्लीपर सेल को संगठित किया। पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन और कानपुर में इंदौर-पटना रेल एक्सप्रेस के पीछे होदा का हाथ रहा है जो वह ब्रजकिशोर गिरी के जरिए अंजाम देता था। गौरतलब है कि भारत-नेपाल बॉर्डर से ही आतंकवादी यासिन भटकल, हड्डी को गिरफ्तार किया था। नेपाल के काठमांडू स्थित पाकिस्तानी दूतावास के कई अधिकारी नेपाल भारत बॉर्डर पर सक्रिय रहे हैं।

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