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कोरोना के हल्के लक्षण होने पर CT स्कैन कराने की जरूरत नहीं- रणदीप गुलेरिया

दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ.रणदीप गुलेरिया ने कहा कि 'आजकल बहुत ज़्यादा लोग सीटी स्कैन करा रहे हैं। जब सीटी स्कैन की जरूरत नहीं है तो उसे कराकर आप खुद को नुकसान ज़्यादा पहुंचा रहे हैं क्योंकि आप खुद को रेडिएशन के संपर्क में ला रहे हैं। इससे बाद में कैंसर होने की संभावना बढ़ सकती है।'

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: May 03, 2021 17:13 IST
Dr. Randeep Guleria, AIIMS Director - India TV Hindi
Image Source : ANI Dr. Randeep Guleria, AIIMS Director 

नई दिल्ली। दिल्ली एम्स के डायरेक्टर (AIIMS Director) रणदीप गुलेरिया ने सोमवार को एक प्रेस वार्ता में बताया कि होम आइसोलेशन के मरीजों को CT स्कैन कराने की जरूरत नहीं है। कोरोना के हल्के लक्षण होने पर CT स्कैन की जरूरत नहीं है। एक सीटी स्कैन 300 एक्स-रे के बराबर है। बार-बार CT स्कैन कराने से बाद में कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। युवा आयु में बार-बार CT स्कैन कराने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। CT स्कैन, बायो-मार्कर्स डॉक्टर की सलाह पर ही कराएं। संदेह होने पर पहले चेस्ट एक्स-रे कराएं, फिर CT स्कैन कराएं। हल्के लक्षण हैं तो स्टेरॉयड ना लें। एम्स डायरेक्टर गुलेरिया ने आगे कहा कि अगर हल्के लक्षण हैं, बुखार नहीं है तो पैनिक ना हों। 

वायरस का म्यूटेंट कोई भी हो हम कोविड उपयुक्त व्यवहार रखें

दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ.रणदीप गुलेरिया (Dr. Randeep Guleria) ने कहा कि 'आजकल बहुत ज़्यादा लोग सीटी स्कैन करा रहे हैं। जब सीटी स्कैन की जरूरत नहीं है तो उसे कराकर आप खुद को नुकसान ज़्यादा पहुंचा रहे हैं क्योंकि आप खुद को रेडिएशन के संपर्क में ला रहे हैं। इससे बाद में कैंसर होने की संभावना बढ़ सकती है।' एम्स के निदेशक ने कहा कि होम आइसोलेशन में रह रहे लोग अपने डॉक्टर से संपर्क करते रहें। सेचुरेशन 93 या उससे कम हो रही है, बेहोशी जैसे हालात हैं, छाती में दर्द हो रहा है तो एकदम डॉक्टर से संपर्क करें। वायरस का म्यूटेंट कोई भी हो हम कोविड उपयुक्त व्यवहार रखें। वायरस इंसान से ही इंसान में फैल रहा है और ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल भी वो ही है।

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सोमवार को देश में कोरोना वायरस की स्थिति को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने प्रेस वार्ता में बताया कि देश में 12 राज्य ऐसे हैं जहां 1 लाख से भी ज्यादा सक्रिय मामले हैं। 7 राज्यों में 50,000 से 1 लाख के बीच सक्रिय मामलों की संख्या बनी हुई है। 17 राज्य ऐसे हैं जहां 50,000 से भी कम सक्रिय मामलों की संख्या बनी हुई है।

गृह मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी ने कहा कि देश में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध है। एक अगस्त 2020 को ऑक्सीजन का उत्पादन देश में 5,700 मीट्रिक टन था, जो अब लगभग 9,000 मीट्रिक टन हो गया है। हम विदेशों से भी ऑक्सीजन का आयात कर रहे हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, बारह राज्यों में एक लाख से अधिक मरीज कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में हैं, सात राज्यों में 50 हजार से एक लाख मरीज संक्रमण का इलाज करा रहे हैं जबकि 17 राज्यों में संक्रमण के 50,000 से कम मरीज उपचाराधीन हैं। दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में दैनिक मामलों में कमी के संकेत मिल रहे हैं, लेकिन विश्लेषण के लिहाज से यह बहुत शुरुआती संकेत हैं। कोविड-19 के नए रोगियों के सामने आने और पुराने मरीजों के ठीक होने के बीच अंतर बढ़ना सकारात्मक संकेत है, लेकिन उपराचाधीन रोगियों के मामले में चुनौतियां बरकरार हैं। ऑक्सीजन उत्पादन के लिये मौजूदा नाइट्रोजन संयंत्रों के रूपांतरण की संभावना तलाशी जा रही है। 

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