नई दिल्ली: डोकलाम पठार पर भारतीय सैनिकों के साथ चीनी सेना के टकराव के बीच चीन ने दसों हजार टन हथियार के साथ अपनी सेना के ट्रकों को तिब्बत सीमा के लिए रवाना कर दिया है। रिपोर्ट की माने तो चीन यह सब भारत पर डोकलाम सीमा विवाद को लेकर दबाव बनाने के लिए कर रहा है। बता दें कि चीन ने यहां काफी बड़ा रेल और रोड नेटवर्क बिछा रखा है। लहासा से लेकर याडोंग तक फैले इस एक्सप्रेस वे के कारण, चीनी सेना 700 किमी का सफर महज 6 से 7 घंटे में तय कर सकती है। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने चीनी सेना के मुखपत्र पीएलए डेली के हवाले से लिखा है, 'अशांत तिब्बत और शिनजियांग प्रांत में पश्चिमी थिएटर कमांड ने उत्तरी तिब्बत में कुनलुन पर्वतों के दक्षिण में सैन्य साजोसामान भेजे हैं।' हालांकि पीएलए डेली ने यह कहीं नहीं बताया है कि साजोसामान की यह तैनाती उसके दो सैन्य अभ्यासों के लिए है।
वहीं मंगलवार को विदेश सचिव एस.जयशंकर ने विदेश मामलों पर संसद की स्थायी समिति से कहा कि चीन ने असामान्य रूप से आक्रामक रुख अख्तियार कर रखा है, लेकिन भारत डोकलाम में सैन्य गतिरोध का शांतिपूर्वक और कूटनीतिक रूप से समाधान करने का प्रयास कर रहा है। जयशंकर ने सिक्किम सेक्टर में चीन के साथ लगी सीमा पर हालात से सांसदों को अवगत कराया। उन्होंने ने इसी तरह पिछले सप्ताह राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को दो बार अवगत कराया था।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली समिति से उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि चीन को अंदेशा नहीं था कि भारत अपनी रक्षा में इतना आक्रामक रुख अख्तियार करेगा। चीन के लिए कदम पीछे खींचना उतना आसान फैसला नहीं होगा। बैठक में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद थे, जिन्होंने कुछ सवाल भी उठाए।
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