चेन्नई: देश के चौथे नौवहन उपग्रह के प्रक्षेपण की उल्टी गिनती गुरुवार सुबह 5.49 बजे शुरू हो गई। इसका प्रक्षेपण 28 मार्च की शाम 5.19 बजे किया जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष परमाणु अनुसंधान संस्थान (इसरो) की ओर से मिली जानकारी के अनुसार, रीजनल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम उपग्रह-आईआरएनएसएस-1डी का प्रक्षेपण ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-27) से किया जाएगा, जिसकी साढ़े 59 घंटे की उल्टी गिनती आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में शुरू हो गई।
यह रॉकेट 1,425 किलोग्राम भार वाले आईआरएनएसएस-1डी उपग्रह को उसकी कक्षा में स्थापित करेगा।
भारत ने क्षेत्र एवं देशभर के लोगों को स्थान की उचित जानकारी देने के लिए अब तक सात उपग्रहों की श्रंखला में तीन क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह छोड़े हैं। इससे लोगों को 1,500 किलोमीटर तक के क्षेत्र की जानकारी मिल सकती है।
इसरो के अधिकारियों ने बताया कि हालांकि इस व्यवस्था के तहत नौ उपग्रह होते हैं, जिनमें सात कक्षा में और आपातकालीन परिस्थिति के लिए होते हैं, लेकिन नौवहन सेवा चार उपग्रहों के साथ संचालित हो सकती है।
प्रत्येक उपग्रह की लागत करीब 150 करोड़ रुपये होती है, जबकि पीएसएलवी-एक्सएल संस्करण के रॉकेट को विकसित करने में 130 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। सातों उपग्रह के लिए 910 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
आईआरएनएसएस श्रृंखला के सातों उपग्रहों के प्रक्षेपण का कार्य साल के अंत तक पूरा हो जाएगा।