तेहरान/नई दिल्ली: सफल त्रिपक्षीय सहयोग के एक अहम कदम के रूप में ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने रविवार को देश के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित चाबहार नगर के शाहिद बहिश्ती बंदरगाह के प्रथम चरण का उद्घाटन किया। साथ ही भारत, ईरान अफगानिस्तान ने आगे पारगमन के विकल्पों पर बातचीत की। चाबहार बंदरगाह के चालू होने से ईरान, भारत, अफगानिस्तान और मध्य एशिया के अन्य देशों के बीच पाकिस्तानी रास्ते का इस्तेमाल किए बगैर एक नया रणनीतिक पारगमन मार्ग खुल गया है। ईरान के दक्षिण-पूर्व में सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत स्थित बंदरगाह के उद्घाटन समारोह में भारत के जहाजरानी राज्यमंत्री पोन राधाकृष्णन समेत 17 देशों के 60 विदेशी मेहमानों ने शिरकत की थी।
ओमान सागर में अवस्थित यह बंदरगाह प्रांत की राजधानी जाहेदान से 645 किलोमीटर दूर है और मध्य एशिया व अफगानिस्तान को सिस्तान-बलूचिस्तान से जोड़ने वाला ईरान का एकमात्र महासागरीय बंदरगाह है। समाचार एजेंसी इरना के मुताबिक, रूहानी ने कहा, "हम इस बात से प्रसन्न हैं कि अफगानिस्तान को गेहूं की पहली खेप ईरान से होकर गई है।" भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से नई दिल्ली में जारी एक बयान के मुताबिक राधाकृष्णन ने रविवार को भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच चाबहार बंदरगाह के विकास को लेकर त्रिपक्षीय मंत्री स्तर की दूसरी बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
बयान में कहा गया कि ईरान के परिवहन मंत्री अब्बास अखौंदी और अफगानिस्तान के व्यापार व वाणिज्य मंत्री हुमायूं रेसाव के साथ त्रिपक्षीय बैठक में तीनों पक्षों ने चाबहार बंदरगाह के विकास की समीक्षा करते हुए सकारात्मक प्रगति का आकलन किया और बंदरगाह के कार्य को जल्द पूरा करने व परिचालन करने की प्रतिबद्धता दोहराई, जिससे द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक विकास में उसका योगदान हो। साथ ही, चारों तरफ से जमीन से घिरे अफगानिस्तान को क्षेत्रीय और वैश्विक बाजारों से जोड़ने के लिए वैकल्पिक मार्ग प्रदान किया जा सके।
बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान के मुताबिक तीनों मंत्रियों ने परिवहन, पारगमन, बंदरगाह, सीमाशुल्क के प्रावधानों व व्यापारिक दूतावासों के मामलों से संबंधित प्रोटोकाल को अंतिम रूप देने का फैसला किया। मंत्रियों ने क्षेत्रीय आर्थिक संपर्क के लिए चाबहार के महत्व और अपने इस उद्देश्य की दिशा में काम करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए हाल ही में भारत से चाबहार होकर अफगानिस्तान को सफलतापूर्वक गेहूं भेजने में तीनों तीनों देशों के संयुक्त प्रयास की प्रशंसा की।
बयान में कहा गया है कि साथ ही, चाबहार में शीघ्र सभी साझेदारों को शामिल करते हुए संपर्क कार्यक्रम का आयोजन करने की बात भी दोहराई गई ताकि चाबहार बंदरगाह द्वारा प्रदान की जानेवाली नई संभावनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके। तीनों देशों के मंत्रियों ने इस बात पर सहमति जताई कि बंदरगाह, सड़क और रेल नेटवर्क को शामिल करते हुए संपर्क का एक समेकित बुनियादी ढांचा विकसित किए जाने से क्षेत्रीय बाजार के लिए व्यापक अवसर पैदा होंगे और आर्थिक एकीकरण की दिशा में इसका योगदान होगा। साथ ही, इससे तीनों देशों व क्षेत्र को फायदा मिलेगा।
चाबहार बंदरगाह का उद्घाटन भारत से अफगानिस्तान को गेहूं की पहली खेप यहां से होकर भेजे जाने के एक महीने से ज्यादा दिनों के बाद किया गया है। पिछले साल मई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी की ओर से भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच परिवहन व पारगमन गलियारा (ट्रांजिट कोरिडोर) के तौर पर बंदरगाह को विकसित करने को लेकर त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद भारत से अफगानिस्तान के लिए गेहूं की पहली खेप भेजी गई थी।
राष्ट्रपति रूहानी ने कहा कि शाहिद बहिश्ती बंदरगाह प्रांत के लिए एक नया विकास का चरण है। इस बंदरगाह की क्षमता 85 लाख टन है। ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने कहा कि इस बंदरगाह से ईरान और भारत के बीच आपसी सहयोग में मजबूती आएगी। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के विकास में इस बंदरगाह की अहमियत इस बात से जाहिर होती है कि यह ओमान सागर और हिंद महासागर क जरिये मध्य एशिया के देशों को दुनिया के अन्य देशों से जोड़ता है।
सिस्तान और बलूचिस्तान बंदरगाह व समुद्रीय संगठन के एक अधिकारी के मुताबिक बंदरगाह पर जहाजों में माल की लोडिंग और अनलोडिंग की क्षमता के साथ-साथ प्रांत में रोजगार की दरों में भी इजाफा होगा। इस बंदरगाह के उद्घाटन से पूर्व शनिवार को भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अचानक ईरान पहुंची और वहां अपने समकक्ष जावेद जरीफ से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच अन्य मसलों के साथ-साथ चाबहार बंदरगाह परियोजना को लेकर भी बातचीत हुई।