गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को जामनगर की अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। भट्ट को 1990 में पुलिस हिरासत में एक व्यक्ति की मौत के मामले में यह सजा सुनाई है। इसके साथ ही एक अन्य पुलिस अधिकारी प्रवीण सिंह झाला को भी उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। इसी महीने 12 तारीख को सुप्रीम कोर्ट ने एक निचली अदालत में एक बार फिर से मामले की सुनवाई शुरू करने की अपील खारिज कर दी थी। भट्ट ने मांग की थी कि कुछ गवाहों को कोर्ट में दोबारा बुलाया जाए।संजीव भट्ट एक बार तब भी सुर्खियों में आए थे जब गुजरात सरकार ने भट्ट पर मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी थी। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
बता दें कि यह घटना 1990 में जामनगर में भारत बंद के दौरान हिंसा हुई थी। भट्ट उस वक्त जामनगर के एएसपी थे। इस दौरान 133 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, जिनमें 25 लोग घायल हुए थे और आठ लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। न्यायिक हिरासत में रहने के बाद एक आरोपी प्रभुदास माधवजी वैश्नानी की मौत हो गई। भट्ट और उनके सहयोगियों पर पुलिस हिरासत में मारपीट का आरोप लगा था।
गुजरात सरकार ने नहीं दी थी अनुमति
इस मामले में संजीव भट्ट व अन्य पुलिसवालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर किया गया था, लेकिन गुजरात सरकार ने मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं दी। 2011 में राज्य सरकार ने भट्ट के खिलाफ ट्रायल की अनुमति दे दी।