नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम के पुत्र कार्ति चिदम्बरम को प्राप्तगिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण की अवधि आज 2 अप्रैल तक बढ़ा दी। प्रवर्तन निदेशालय धन शोधन रोकथाम कानून की धारा 19 के तहत किसी को गिरफ्तार करने के जांच एजेन्सी के अधिकार के बारे में विभिन्न उच्च न्यायालयों के परस्पर विरोधाभासी दृष्टिकोण के मद्देनजर शीर्ष अदालत की एक सुविचारित व्यवस्था चाहता है।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई. चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश दिया। पीठ ने कहा कि कार्ति कोगिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने संबंधी 15 मार्च के आदेश की अवधि दो अप्रैल तक बढाई जाती है। मेहता की दलीलें आज अधूरी रहीं। वह अब दो अप्रैल को आगे बहस करेंगे।
इससे पहले, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि नशीले पदार्थो की तस्करी, आतंक को वित्तीय मदद ओर काले धन के लेन देन से होने वाले धन शोधन पर रोकथाम की जरूरत को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय को धन शोधन रोकथाम कानून के तहत गिरफ्तार करने का अधिकार है।
मेहता ने 1988 के संयुक्त राष्ट्र कंवेन्शन का जिक्र करते हुये कहा कि सदस्यों ने महसूस किया था कि धन शोधन के अपराध से निबटने के लिए कानून की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स के उदय के साथ ही धन शोधन के मामलों की जांच अधिक पेचीदा हो गई है क्योंकि वैश्वीकरण के बाद से गलत तरीके से अर्जित धन दुनिया के सभी कोनों तक बहुत ही सहजता से पहुंच जाती है।
शीर्ष अदालत ने 15 मार्च को कार्ति के अंतिरम संरक्षण की अवधि बढ़ाते हुए कहा था कि इस कानून के तहत गिरफ्तार करने के निदेशालय के अधिकार के बारे में उच्च न्यायालय के अलग-अलग दृष्टिकाण से उत्पन्न भ्रम को वह दूर करेगा।
यही नहीं, शीर्ष अदालत ने निदेशालय के मामले में कार्ति की संरक्षण की याचिका के साथ ही गिरफ्तार करने के प्रवर्तन निदेशालय के अधिकार को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित मामले भी अपने यहां स्थानांतरित कर लिए थे।