नई दिल्ली: आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में जेल में बंद पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम को राहत देते हुए उन्हें 2 लाख के बॉंड पर जमानत दे दी है। कोर्ट ने उन्हें शर्तों के साथ जमानत दी है। उनका पासपोर्ट जब्त रहेगा ताकि वह देश छोड़कर ना जा पाएं। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि जेल से बाहर आने के बाद वह मीडिया से बात नहीं करेंगे। प्रेस इंटरव्यू और मीडिया में बयान देने पर रोक लगा दी गई है। उन्हें दो लाख के बॉन्ड और दो लाख के मुचलके पर जमानत दी गई है। चिदंबरम ने उनकी जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 15 नवंबर के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय की पीठ ने 28 नवंबर को पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी की थी। पीठ ने कहा था कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा। कांग्रेस के इस 74 वर्षीय नेता की जमानत अपील पर सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने दावा किया था कि पूर्व वित्त मंत्री हिरासत में होने के बावजूद महत्वपूर्ण गवाहों पर अपना ‘प्रभाव’ रखते हैं जबकि पूर्व वित्त मंत्री का कहना था कि जांच एजेन्सी इस तरह के निराधार आरोप लगाकर उनकी प्रतिष्ठा और करियर ‘बर्बाद’ नहीं कर सकती है। चिदंबरम की जमानत याचिका का विरोध करते हुये मेहता ने कहा था कि धन शोधन जैसा अपराध गंभीर किस्म का है और यह सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था को ही नहीं प्रभावित करता बल्कि व्यवस्था के प्रति जनता के विश्वास को डगमगाता है।
मेहता का कहना था कि जांच के दौरान निदेशालय ने 12 बैंक खातों की पहचान की है जिनमें इस अपराध से मिली रकम जमा की गयी और एजेन्सी के पास ऐसी 12 संपत्तियों का भी ब्योरा है जिन्हें कई दूसरे देशों में खरीदा गया है। प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया था कि चिदंबरम ने ‘निजी लाभ’ के लिये वित्त मंत्री के ‘प्रभावशाली कार्यालय’ का इस्तेमाल किया और इस अपराध की रकम को हड़प गये। निदेशालय ने यह भी दावा किया था कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री होने की वजह से चिदंबरम बहुत ही चतुर और प्रभावशाली व्यक्ति हैं और इस समय उनकी उपस्थिति ही गवाहों को भयभीत करने के लिये काफी है।
चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि उन्हें ‘अनुचित तरीके’ से पिछले 99 दिन से सिर्फ इसलिए जेल में रखा गया है क्योंकि वह आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में मुख्य आरोपी कार्ति चिदंबरम के पिता हैं और इस मामले से उन्हें जोड़ने के लिये उनके खिलाफ ‘एक भी साक्ष्य’ नहीं है। चिदंबरम को पहली बार आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई ने 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था। इस मामले में उन्हें शीर्ष अदालत ने 22 अक्टूबर को जमानत दे दी थी।
इसी दौरान 16 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले से मिली रकम से संबंधित धन शोधन के मामले में चिदंबरम को गिरफ्तार कर लिया। पूर्व वित्त मंत्री इस समय 11 दिसंबर तक के लिये न्यायिक हिरासत में हैं। सीबीआई ने 15 मई, 2017 को एक मामला दर्ज किया था जिसमें आरोप था कि 2007 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा आईएनएक्स मीडिया समूह को 305 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश प्राप्त करने की मंजूरी देने में अनियमितताएं हुयीं। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी धन शोधन का मामला दर्ज किया।