नई दिल्ली. कोरोना संक्रमण ने पूरी दुनिया पर बड़ा प्रभाव डाला है। कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए दुनिया के तमाम देशों ने तमाम तरह की बंदिशें लगाई थीं जिनमें अब धीरे-धीरे ढील दी जा रही है। ब्रिटेन और अमेरिका ने भी अपने यहां आने वालों के लिए नियम बना दिए हैं। अमेरिका में नवंबर की शुरुआत से ऐसे लोगों की प्रवेशी की अनुमति मिला जाएगी, जिनका वैक्सीनेशन पूरा हो गया है, ऐसे में भारत के लोगों बड़ी सहूलियत मिलेगी लेकिन ब्रिटेन की नियम भारत के लोगों को ऐसी परमिशन नहीं देते।
दरअसल जिन देशों के कोविड-19 टीकों को ब्रिटेन में मंजूरी होगी उसमें भारत शामिल नहीं है। इसका मतलब यह है कि जो भारतीय सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया का कोविशील्ड टीका लगवा चुके होंगे उन्हें अनिवार्य रूप से पीसीआर जांच करानी होगी तथा तय पतों पर पृथकवास में रहना होगा।
ब्रिटेन पर पड़ रहा भारतीय यात्रियों के लिए जारी कोविड टीकाकरण नियम की समीक्षा का दबाव
ब्रिटेन सरकार पर भारत से आने वाले यात्रियों के लिए अपने कोविड-19 टीके को लेकर तय नियम की समीक्षा करने का दबाव बढ़ रहा है। अगले महीने से प्रभावी होने वाले नियमों के अनुसार विभिन्न देशों के टीकों को लेकर जारी विस्तृत सूची में भारतीय टीकों को मान्यता नहीं दी गई है। दरअसल, ब्रिटेन की यात्रा के संबंध में फिलहाल लाल, एम्बर और हरे रंग की तीन अलग अलग सूचियां बनाई गई हैं। खतरे के अनुसार अलग-अलग देशों को अलग-अलग सूची में रखा गया है।चार अक्टूबर से सभी सूचियों को मिला दिया जाएगा और केवल लाल सूची बाकी रहेगी। लाल सूची में शामिल देशों के यात्रियों को ब्रिटेन की यात्रा पर पाबंदियों का सामना करना पड़ेगा। भारत अब भी एम्बर सूची में है। ऐसे में एम्बर सूची को खत्म करने का मतलब है कि केवल कुछेक यात्रियों को ही पीसीआर जांच से छूट मिलेगी। जिन देशों के कोविड-19 टीकों को ब्रिटेन में मंजूरी होगी उसमें भारत शामिल नहीं है। इसका मतलब यह है कि जो भारतीय सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया का कोविशील्ड टीका लगवा चुके होंगे उन्हें अनिवार्य रूप से पीसीआर जांच करानी होगी तथा तय पतों पर पृथकवास में रहना होगा।
ब्रिटेन में नेशनल इंडियन स्टूडेंट एंड एलुमनाई यूनियन (एआईएसएयू) की अध्यक्ष सनम अरोड़ा ने कहा, “भारतीय छात्र इस बात से परेशान हैं कि उन्हें लगता है कि यह एक भेदभावपूर्ण कदम है क्योंकि अमेरिका और यूरोपीय संघ के उनके समकक्षों की तुलना में उनके साथ अलग व्यवहार किया जा रहा है।''
भारत सरकार ने पहले ही कहा है कि वह ''पारस्परिक आधार'' पर भारत के वैक्सीन प्रमाणन को मान्यता देने के लिए कई देशों के साथ काम कर रही है। ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त गायत्री इस्सर कुमार ने पिछले सप्ताह भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान इस मामले को उठाया था।
वहीं, ब्रिटेन सरकार के स्वास्थ्य एवं सामाजिक देखभाल विभाग (डीएचएससी) ने कहा कि इस सूची की हर पखवाड़े समीक्षा की जाती है। हालांकि, डीएचएससी का कहना है कि ब्रिटेन की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य उत्पाद नियामक एजेंसी (एमएचआरए) ने अब तक ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के भारत-निर्मित संस्करण को 'वैक्सजेवरिया' के रूप में स्वीकार किया है और इसलिए वर्तमान में केवल इसी टीके को मंजूरी प्राप्त है।
अमेरिका ने नयी अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रणाली की घोषणा की
अमेरिका ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए नयी प्रणाली की घोषणा की जिसके तहत भारत सहित किसी भी देश के ऐसे लोगों को नवंबर की शुरुआत से देश में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी,जिनका पूर्ण टीकाकरण हो गया है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2020 की शुरुआत में कोविड-19 महामारी के कारण विदेशी यात्रियों के अमेरिका में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। नयी प्रणाली भारत जैसे देशों पर पर लगी इस पाबंदी को समाप्त करती है।
व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने कहा कि भारत जैसे देशों में पूर्ण टीकाकरण करा चुके लोग अब अपने टीकाकरण प्रमाणपत्र के साथ अमेरिकी की यात्रा कर सकते हैं। उन्हें उड़ान भरने से पहले टीकाकरण का प्रमाणपत्र देना होगा। कोविड-19 पर व्हाइट हाउस के रेस्पांस कोऑर्डिनेटर जेफ जिनेट्स ने पत्रकारों से कहा, "आज हम अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए नयी प्रणाली की घोषणा कर रहे हैं। इस नयी प्रणाली में अमेरिका आने वाले विदेशी यात्रियों से कोरोना वायरस संक्रमण ना फैले यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा।" (input- bhasha)