पुलवामा में सीआरपीएफ के 41 जवानों की शहादत से जहां पूरा देश स्तब्ध है, वहीं इस घटना से सीआरपीएफ में उच्च पदों पर बैठे रणनीतिकारों की बड़ी चूक भी उजागर हुई है। खुफिया एजेंसियों ने 8 फरवरी को ही पुलवामा जैसे ही हमले के प्रति सुरक्षा एजेंसियों को आगाह किया था। लेकिन इस अलर्ट की पूरी तरह से अनदेखी कर दी गई, जिसकी कीमत जवानों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
पुलवामा हमले से दो दिन पहले जम्मू कश्मीर पुलिस ने ट्वीटर पर शेयर की थी जैश की धमकी
सुरक्षा एजेंसियों ने 8 फरवरी को जम्मू कश्मीर क्षेत्र के लिए एक अलर्ट जारी किया था। जिसमें सुरक्षा बलों विशेष रूप से सीआरपीएफ को अपने डिप्लॉयमेंट के दौरान सावधान रहने को कहा कहा गया था। अलर्ट में साफ तौर पर लिखा था कि 'कृपया डिप्लॉयमेंट से पहले पूरे रास्ते को ठीक प्रकार से खाली करा लें, यहां पर आईईडी के इस्तेमाल की सूचना प्राप्त हुई है।' ये अलर्ट 8 फरवरी का था। लेकिन ठीक इन्हीं शब्दों की पुनरावृत्ति पुलवामा अटैक के रूप में हुई, जहां 2500 से अधिक जवानों को ले जा रहे दस्ते के रास्ते को खाली नहीं कराया गया। इसी बीच एक आईईडी से भरी स्कॉर्पियो ने सीआरपीएफ की बस को टक्कर मार दी।
माना जा रहा है कि यदि सीआरपीएफ के अधिकारी इतने बड़े डिप्लॉयमेंट से पहले सतर्कता एजेंसियों के अलर्ट पर ध्यान देती तो संभव है कि इतने बड़े हादसे को टाला जा सकता था।