नई दिल्ली: रिलायंस फाउंडेशन से संबंधित जियो इंस्टीट्यूट को ‘उत्कृष्ट संस्थानों’ की सूची में शामिल किए जाने की आलोचनाओं के बीच मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आज स्पष्ट किया कि यह दर्जा शर्तों के साथ है और उसे इस बारे में केवल आशय पत्र मिलेगा। रिलायंस फाउंडेशन की ओर से अभी जियो इंस्टीट्यूट की स्थापना की जानी है।
मानव संसाधन सचिव आर सुब्रमण्यम ने संवाददाताओं को बताया कि अभी उसे (जियो इंस्टीट्यूट) को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा नहीं मिलेगा, उन्हें केवल आशय पत्र मिलेगा। अगर वे तीन वर्षो में स्थापित हो जाते हैं और विशेषज्ञ समिति की अपेक्षाओं को पूरा करते हैं तब उन्हें उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा मिलेगा। उन्होंने कहा कि अगर संस्थान मानदंडों के अनुरूप प्रदर्शन नहीं करेगा तब विशेषज्ञ समिति के पास यह अधिकार होगा कि वह उस संस्थान का दर्जा वापस ले सकेगा।
उल्लेखनीय है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कल 6 विश्वविद्यालयों को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा प्रदान करने की घोषणा की थी। इनमें सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों में आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बंबई और आईआईएससी बेंगलोर शामिल हैं। मंत्रालय ने निजी क्षेत्र से मनिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, बिट्स पिलानी और जियो इंस्टीट्यूट को भी उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा प्रदान किया।
बहरहाल, जियो इंस्टीट्यूट को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा दिए जाने की घोषणा की विभिन्न वर्गो ने तीखी आलोचना की है और चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। इस बीच, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कहा है कि उसे 11 प्रस्ताव प्राप्त हुए लेकिन विशेषज्ञ समिति ने महसूस किया कि केवल जियो इंस्टीट्यूट ने सभी चार विशिष्टाओं को पूरा किया जिनमें भूमि की उपलब्धता, पात्रता पूरा करने वाली अनुभवी टीम, वित्त पोषण एवं सामरिक दृष्टि से युक्त कार्य योजना शामिल है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव ने कहा कि जियो को ग्रीनफील्ड श्रेणी के संस्थानों की श्रेणी में शामिल किया गया है। ये संस्थान अभी मौजूद नहीं होते लेकिन देश में वैश्विक स्तर का निजी निवेश लाने के संबंध में इनका स्वागत किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा प्राप्त करने वाले तीन सरकारी संस्थानों में प्रत्येक को 1000 करोड रुपये मिलेगा, निजी संस्थानों को इस प्रकार का वित्त पोषण नहीं मिलेगा।