नई दिल्ली: भारत का अमेरिका के साथ रिश्ता इस पर निर्भर करता है कि अमेरिका का पाकिस्तान के प्रति क्या रुख है, जिसके बारे में अभी तक भारत को अंधेरे में रखा गया है। भारत के एक पूर्व राजनयिक ने दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच पिछले महीने हुई मुलाकात के बाद की स्थिति की समीक्षा करते हुए यह बात कही। अमेरिका में साल 2015-16 के दौरान भारत के राजदूत रहे अरुण के. सिंह ने शुक्रवार को एक पैनल परिचर्चा में कहा, "ट्रंप (अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप) ने पद संभालने के बाद से अभी तक पाकिस्तान के बारे में कुछ नहीं कहा है। इस साल फरवरी में कांग्रेस के संयुक्त सत्र में भी उन्होंने कुछ नहीं कहा है।"
'मोदी-ट्रंप बैठक के बाद भारत-अमेरिकी रिश्ता' पर आयोजित परिचर्चा में पूर्व राजनयिक ने कहा पाकिस्तान को लेकर अमेरिका के रुख में अफगानिस्तान पर अमेरिकी नीति का भी असर होता है। फिर उसका असर भारत पर होता है। उन्होंने हालांकि कहा कि भारत, अमेरिका के बिना कुछ कर नहीं सकता, क्योंकि अभी भी वह शक्तिशाली है।
उन्होंने कहा, "ना सिर्फ रक्षा मामले में, बल्कि अर्थव्यवस्था, राजनीति, मध्य वर्ग की आकांक्षा, शिक्षा के अवसर, इनमें दुनिया का कोई भी देश हमें वह नहीं दे सकता, जो अमेरिका दे सकता है। ना तो यूरोप, ना रूस और ना ही जापान।"उन्होंने कहा, "हमें यह ध्यान में रखना होगा कि अमेरिका अपनी विदेश नीति को भारत को ध्यान में रखकर तय नहीं करता है। हमारे पास अमेरिका के साथ जुड़ने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है।"
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अमेरिकी विदेश नीति विशेषज्ञ चिंतामणि महापात्रा का कहना है, "आतंकवाद पर भारत को अमेरिका से काफी उम्मीदें हैं, लेकिन क्या भारत अमेरिका की हमस या आईएस से लड़ने में मदद कर सकता है? हमारी लंबे समय से यह इच्छा है कि अमेरिका पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करे, लेकिन क्या हमने अभी तक ऐसा किया है?"