नई दिल्ली: वर्ष 1980 में सत्ता में वापसी करने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को परमाणु हथियार क्षमताएं हासिल करने से रोकने के लिए उसके परमाणु प्रतिष्ठानों पर सैन्य हमले पर विचार किया था। सीआईए के एक सार्वजनिक किए गए दस्तावेज में यह दावा किया गया है। केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) द्वारा तैयार आठ सितंबर 1981 के ‘पाकिस्तान में परमाणु विकास पर भारत की प्रतिक्रिया’ शीषर्क के दस्तावेज में कहा गया कि तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री ने यह विचार उस समय किया जब अमेरिका पाकिस्तान को लड़ाकू विमान एफ 16 बेचने के अंतिम चरण में था।
सीआईए की वेबसाइट पर इस साल जून में 12 पृष्ठों के दस्तावेज का संपादित संस्करण डाला गया। जिसके अनुसार, वर्ष 1981 में इंदिरा गांधी नीत तत्कालीन भारत सरकार पाकिस्तान के परमाणु हथियार कार्यक्रम की प्रगति को लेकर चिंतित था और उसका मानना था कि इस्लामाबाद परमाणु हथियार हासिल करने के करीब है। अमेरिका का भी इसी तरह का आंकलन था।
तत्कालीन अतिसंवेदनशील सीआईए रिपोर्ट में दावा किया गया कि अगर भारत की चिंता अगले दो या तीन महीनों में बढ़ती हैं तो हमारा मानना है कि स्थितियां प्रधानमंत्री गांधी द्वारा ऐसा फैसला करने की हो सकती हैं कि मुख्य रूप से पाकिस्तान के परमाणु केंद्रों को ध्वस्त करने का ढांचा उपलब्ध कराने के लिए पाकिस्तान के साथ सैन्य टकराव प्रारंभ किया जाए।
रिपोर्ट लिखने के समय सीआईए ने कहा कि गांधी ने इस संबंध में इस तरह का कोई फैसला नहीं किया। रिपोर्ट के अनुसार, चूंकि पाकिस्तान परमाणु हथियारों में प्रयोग के लिए प्लूटोनियम और अतिसमृद्ध यूरेनियम बनाने के अंतिम चरण में था, गांधी ने इस खतरे का स्पष्ट जवाब भारतीय परमाणु परीक्षण तैयारियों को अधिकृत करके दिया। सीआईए ने कहा कि फरवरी (1981) में कम समय में भारतीय परीक्षण उपकरण के भूमिगत विस्फोट को अनुमति देने के लिए थार मरूस्थल में खुदाई शुरू की गई।
सीआईए ने कहा कि मई में भारत ने 40 किलोटन परमाणु परीक्षण के लिए तैयारियां पूरी कर ली थीं। उन्होंने कहा कि कहा गया कि भारत को पाकिस्तान के संभावित परीक्षण के करीब एक सप्ताह बाद डिवाइस में विस्फोट करना था।
सीआईए ने कहा कि स्पष्ट है कि भारत सरकार ने आंकलन किया कि पाकिस्तानी परमाणु विस्फोट राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा नहीं होगा और शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट कार्यक्रम की बहाली से क्षेत्र में भारत की श्रेष्ठता की छवि के नुकसान को कम किया जा सकता है। इसमें कहा गया कि प्रधानमंत्री गांधी ने संभवत: पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य विकल्प का उपयोग करने का फैसला नहीं किया।
दूरतम मामले में, अगर सैन्य विकल्प के उपयोग के लिए अनुकूल समय से पहले पाकिस्तान को एफ 16 (लड़ाकू विमान) देने को लेकर भारत की चिंताएं बढ़ती हैं तो प्रधानमंत्री गांधी के लिए संभावित आपात्तकालीन हमले की योजना पूरी करने के लिए स्थितियां पूर्ण हो सकती हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि हमारा सर्वश्रेष्ठ आंकलन हालांकि यह है कि भारत देखो और इंतजार करो की रणनीति अपनाएगा।