विशाखापत्तनम: एक तरफ चीन सीमा पर अपनी ताकत बढ़ा रहा है तो दूसरी ओर पाकिस्तान भी अपनी भारत विरोधी अभियानों में लगा है। दोनों ओर से दुश्मनों से घिरे भारत भी अपनी सैन्य तैयारी बढ़ा रहा है। इसी कड़ी में भारत ने स्वदेश निर्मित एंटी-सबमरीन युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती को नौसेना में शामिल किया है। थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने नौसेना डॉकयार्ड में लड़ाकू पोत आईएनएस कवरत्ती को भारतीय नौसेना में शामिल किया।
आईएनएस कवरत्ती प्रोजेक्ट 28 (कमरोटा श्रेणी) के तहत स्वदेशी चार जहाजों में से आखिरी जहाज है और इसका डिजाइन नौसेना की शाखा नौसेना डिजाइन निदेशालय ने तैयार किया है। सभी प्रणाली लगाए जाने और समुद्र में परीक्षण के बाद लड़ाकू भूमिका में तैयारी के साथ इसे नौसेना में शामिल किया गया है।
आईएनएस कवरत्ती अत्याधुनिक हथियारों से लैस है और यह सेंसर के जरिए पनडुब्बियों का पता लगाने में सक्षम है। एन्टी सबमरीन युद्धक क्षमता से लैस होने के साथ इस जहाज को लंबी तैनाती पर भेजा जा सकता है। इसमें ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है कि यह दुश्मनों की नजर से बचकर निकल सकता है।
आईएनएस कवरत्ती का नाम 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से मुक्ति दिलवाने वाले अभियान में अहम रोल निभाने वाले युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती के नाम पर रखा गया है। वैसे लक्षद्वीप की राजधानी का नाम भी कवरत्ती ही है।
इसकी लंबाई 109 मीटर और चौड़ाई 12.8 मीटर है। इसमे 4B डीजल इंजन लगे हैं। इसका वजन 3250 टन है। नौसेना में इसके शामिल हो जाने से नेवी की ताकत काफी बढ़ जाएगी क्योंकि यह परमाणु, रासायनिक और जैविक हालात में भी काम कर पाने में सक्षम है।
नौसेना के मुताबिक, ‘‘जहाज में 90 प्रतिशत तक स्वदेशी सामान का इस्तेमाल हुआ है और इसमें ढांचा के निर्माण में कार्बन कम्पोजिट इस्तेमाल किया गया।’’ कवरत्ती को शामिल करने से भारतीय नौसेना की क्षमता में इजाफा होगा।
नौसेना ने कहा है कि गार्डन रिच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता ने यह जंगी पोत तैयार किया है। पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल अतुल कुमार जैन, जीआरएसई के अध्यक्ष और प्रबंधन निदेशक एडमिरल (सेवानिवृत्त) वी के सक्सेना और अन्य अधिकारी कार्यक्रम में मौजूद थे।