नई दिल्ली: भारत सरकार ने चीन के साथ सीमा विवाद के बीच टिकटॉक और यूसी ब्राउजर समेत 224 चीनी एप पर प्रतिबंध लगा दिया था जिसमें अब 59 ऐप्स पर स्थायी रूप से प्रतिबंध लगाए जाने की खबर है। मोदी सरकार ने यह फैसला चीनी कंपनियों के जवाब से असंतुष्ट होकर लिया। भारत के इस कदम से एक बार फिर से चीन तिलमिला गया है। टिकटॉक समेत कुल 59 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगने से करोड़ों रुपये के नुकसान से बौखलाए चीन ने कहा कि भारत सरकार का निर्णय विश्व व्यापार संगठन के नियमों के खिलाफ है। इससे चीनी फर्मों को नुकसान होगा।
भारत में चीनी दूतावास की प्रवक्ता जी रोंग ने कहा कि भारत सरकार के इन कदमों ने भारतीय कारोबारी माहौल में सुधार और संबंधित भारतीय उद्योगों के अभिनव विकास में भी बाधा उत्पन्न की है। चीन-भारत आर्थिक और व्यापार सहयोग पारस्परिक रूप से लाभकारी है। हम भारतीय पक्ष से इसके भेदभावपूर्ण तरीकों को तुरंत ठीक करने तथा द्विपक्षीय सहयोग को और नुकसान पहुंचाने से बचने का अनुरोध करते हैं।
वहीं चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीनी कंपनियों को भारत सरकार से मुआवजे की मांग करनी चाहिए। ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में आरोप लगाया कि विदेशी कंपनियों के प्रोडक्ट पर बैन लगाने की भारत की पुरानी आदत है और अमेरिकी, जापानी और साउथ कोरियन कंपनियों को भारत की इस चाल का अनुभव है।
मोदी सरकार ने एक नोटिस जारी किया था, जिसके मुताबिक टिकटॉक समेत चीन के अन्य एप पर लगी पाबंदी जारी रहेगी। सरकार ने सबसे पहले जून में चीन के 59 एप पर और फिर सितंबर में 118 अन्य एप पर रोक लगा दी थी। इनमें टिकटॉक और पबजी जैसे लोकप्रिय एप शामिल हैं। भारत सरकार ने इन एप्स के जरिए इकट्ठा किए जा रहे डेटा और उनके इस्तेमाल को लेकर सवाल उठाए थे और इस संबंध में इन एप्स की कंपनियों से सफाई मांगी थी।
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