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एक भारतीय जासूस जो बन गया था पाकिस्तानी सेना में मेजर

पाकिस्तान में मौत के दरवाजे पर खड़े कुलभूषण जाधव को लेकर भले ही ये विवाद हो कि वो भारत के जासूस हैं या नहीं, लेकिन ये मामला जासूसी की रहस्यमयी दुनिया की तरफ ध्यान जरूर खींचता है।

India TV News Desk
Published : April 11, 2017 8:31 IST
ravinder kaushik
ravinder kaushik

नयी दिल्ली: पाकिस्तान में मौत के दरवाजे पर खड़े कुलभूषण जाधव को लेकर भले ही ये विवाद हो कि वो भारत के जासूस हैं या नहीं, लेकिन ये मामला जासूसी की रहस्यमयी दुनिया की तरफ ध्यान जरूर खींचता है। आज हम आपको एक ऐसे ही भारतीय जासूस की सच्ची कहानी बताते है जो पाकिस्तान जाकर, पाकिस्तानी सेना में भर्ती होकर मेजर की पोस्ट तक पहुँच गया था। यह कहानी है भारतीय जाबांज जासूस ‘रविन्द्र कौशिक’ उर्फ़ ‘ब्लैक टाइगर’ की।

कोशिक को सिर्फ 23 वर्ष की उम्र में पाकिस्‍तान भेजा गया था और फिर वह कभी भी लौट कर अपने वतन नहीं आ सका। कौशिक की बदक़िस्मती है कि शहादत के समय इसे अपने देश की मिट्टी भी नसीब नहीं हुई और उसे दुश्‍मन मुल्‍क में ही अपनी जान देनी पड़ी। रविंदर कौशिक एक अंडरकवर एजेंट थे।

नाटक की दुनियां से जुड़े हुए थे रविंदर

रविंदर कौशिक का जन्‍म राजस्‍थान के श्रीगंगानगर में वर्ष 1952 में हुआ था। रविंदर को थियेटर का काफी शौक था। वह सिर्फ एक टीनएजर थे जब रॉ के लिए उनका चुनाव हो गया था। रविंदर ने वर्ष 1975 में ग्रेजुएशन पूरा किया और फिर रॉ में शामिल हो गए।

23 वर्ष की उम्र में गए पा‍किस्‍तान

रविंदर को रॉ ने पाकिस्‍तान में भारत के लिए अंडरकवर एजेंट का जॉब ऑफर किया जो उन्होंने ख़ुशी से स्वीकार कर लिया। जब उन्हें मिशन पर पाकिस्तान भेजा गया तब उनकी उम्र सिर्फ 23 साल थी। बताया जाता है कि रॉ ने उन्‍हें करीब दो साल तक ट्रेनिंग दी थी।

मुसलमान बनाने की हुई ट्रेनिंग

कौशिक को पक्का मुसलमान बनाने की ट्रेनिंग दिल्‍ली में दी गई थी। उन्‍हें उर्दू सिखाई गई और इस्लाम धर्म से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातें बताई गईं। इसके अलवा उन्हें पाकिस्‍तान के बारे में भी कई जानकारियां दी गई। वह पंजाबी भाषा धड़ल्ले से बोल लेते थे जो पाकिस्तान के अधिकतर हिस्‍सों में बोली जाती है। जाने के पहले उनका खतना भी कराया गया था।

रविंदर से हो गए नबी अहमद शाकिर

1975 में रविंदर को नबी अहमद शाकिर नाम के साथ पाकिस्‍तान भेजा गया। इसके बाद वो पाकिस्तानी सेना में शामिल हो गए और मेजर के रैंक तक पहुंच गए लेकिन पाकिस्तान सेना को कभी ये अहसास ही नहीं हुआ कि उनके बीच एक भारतीय जासूस काम कर रहा है।

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