चंडीगढ़. किसान कानूनों के विरोध में एक तरफ जहां दिल्ली में कई किसान संगठन डेरा डाले बैठे हुए हैं तो वहीं दूसरी तरफ पंजाब सरकार के लिए वहां के किसानों की मांग नई चुनौती बन गई है। पंजाब में गन्ने के ज्यादा सरकारी भाव की मांग में वहां के किसान रेलवे ट्रैक धरने पर बैठ गए हैं राज्य सरकार से अपनी मांगों को मनाने के लिए दबाव बना रहे हैं। किसानों के विरोध प्रदर्शन की वजह से पिछले एक हफ्ते के दौरान पंजाब आने-जाने वाली कई रेलगाड़ियां प्रभावित हुई हैं और कुछ तो रद्द करनी पड़ी हैं।
गन्ने के ज्यादा सरकारी भाव की मांग में किसानों ने जालंधर कैंट के पास चेहरू स्टेशन पर 20 अगस्त से ट्रैक पर धरना दिया हुआ है, धरने की वजह से 20 अगस्त को 13, 21 अगस्त को 61, 22 अगस्त को 59 तथा 23 अगस्त को 65 गाड़ियां रद्द कर दी गई थी, आज यानि 24 अगस्त के लिए भी 14 रेलगाड़ियों को अबतक रद्द किया जा चुका है और 25 अगस्त के लिए 3 रेलगाड़ियों के रद्द किए जाने की घोषणा की गई है। अबतक कुल 2015 रेलगाड़ियों को रद्द किया जा चुका है, 47 के रूट बदले गए हैं और 68 रेलगाड़ियों का रूट गंतव्य से पहले ही समाप्त किया जा चुका है।
पंजाब में गन्ने के स्टेट एडवायजरी प्राइस (SAP) यानि राज्य में गन्ने के सरकारी भाव को लेकर राजनीति तेज हो गई है। पंजाब में कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने गन्ने के सरकारी भाव को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और कहा है कि पंजाब में किसानों को हरियाणा और उत्तर प्रदेश से कम गन्ने का भाव मिलता है जबकि पंजाब में गन्ने की खेती की लागत ज्यादा है। अपने ट्वीट संदेश में नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था, "गन्ना किसानों के मुद्दे का जल्द समाधान करने की जरूरत है, हैरानी है कि पंजाब में गन्ने की खेती की लागत ज्यादा है लेकिन पंजाब में किसानों के लिए सरकार की तरफ से निर्धारित किया गया गन्ने का भाव (SAP) उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा से कम है। कृषि के मुद्दों की मशाल उठाने वाले पंजाब गन्ने का SAP और अच्छा होना चाहिए।"