Saturday, December 21, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. कोहरे के कारण थमी ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए इन तकनीकों की टेस्टिंग कर रहा रेलवे

कोहरे के कारण थमी ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए इन तकनीकों की टेस्टिंग कर रहा रेलवे

हमेशा की तरह एक बार फिर से कोहरे का मौसम आ गया है, जिससे रेल सेवाएं हर साल की तरह इस साल भी देरी से चल रही हैं और यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है...

Reported by: IANS
Published : November 12, 2017 13:38 IST
Representational Image | PTI
Representational Image | PTI

नई दिल्ली: भारतीय रेल को जाड़े के मौसम में अक्सर ठंड लग जाती है और उसकी ट्रेनों की रफ्तार काफी कम हो जाती है। कोहरे का मौसम आने से कई बार तो ट्रेनों को रद्द तक करना पड़ जाता है। हमेशा की तरह एक बार फिर से कोहरे का मौसम आ गया है, जिससे रेल सेवाएं हर साल की तरह इस साल भी देरी से चल रही हैं और यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। रेलवे की कोहरे से निपटने की तैयारियां अभी भी नाकाफी हैं। उत्तर की तरफ जानेवाली ट्रेनों में LED फॉग लाइटों और अन्य तकनीकों का प्रयोग करने की चर्चा हुई थी, लेकिन अभी भी यह परीक्षण के चरण में ही है।

कोहरे के कारण दृश्यता प्रभावित होने से उत्तर की तरफ जानेवाली सभी ट्रेनें घंटों की देरी से चल रही है, जिससे रेलवे का भीड़भाड़ वाला पूरा नेटवर्क प्रभावित होता है और सभी ट्रेनों पर असर पड़ता है। घने कोहरे के कारण सुरक्षा की दृष्टि से ड्राइवर रफ्तार घटाकर 15 किलोमीटर प्रति घंटा तक ले आते हैं, जिसके कारण ट्रेनें 4 घंटों से लेकर 22 घंटों की देरी से चल रही हैं। हर साल होने वाली इस बाधा से लड़ने के लिए रेलवे ने कई तकनीकी कदम उठाएं हैं। इसके तहत ट्रेन प्रोटेक्शन वॉर्निग सिस्टम (TPWS), ट्रेन कोलिजन एवायडेंस सिस्टम (TCAS) और टैरिन इमेजिंग फॉर डीजल ड्राइवर्स (ट्राई-NETRA) सिस्टम के साथ ही नवीनत LED फॉग लाइट्स लगाने की तैयारियां चल रही हैं, ताकि दृश्यता में सुधार हो। लेकिन इन सब तकनीकों का अभी भी परीक्षण ही चल रहा है।

रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘कोहरे के कारण ड्राइवर को सिग्नल ठीक से दिखता नहीं है, इसलिए दुर्घटना का खतरा रहता है। इसलिए वे रफ्तार काफी कम रखते हैं।’ TPWS प्रणाली अभी केवल 35 इंजनों में लगी है, जो ड्राइवर को घने कोहरे या बारिश में भी सिग्नल देखने की सुविधा देती है। इसे चेन्नई और कोलकाता मेट्रो के उपनगरीय नेटवर्क में लगाया गया है। वहीं, TCAS सिस्टम में ड्राइवर को RFID टैग के माध्यम से केबिन में ही सिग्नल दिखता है। लेकिन ये सभी प्रणालियां अभी पायलट चरण में ही हैं और इनकी टेस्टिंग चल रही है।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement
detail