असली भारत गांव में ही बसता है, ये बात सब कहते हैं। लेकिन, गांव में रहने वाले लोगों तक चिकित्सा सुविधाएं अभी भी पूरी तरह नहीं पहुंच पाती है, वक्त-वक्त पर इसका उदाहरण देने वाली तस्वीरें भी सामने आती रहती है। ऐसी स्थिति के बीच आज हम आपको एक ऐसे डॉक्टर के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने ग्रामीणों को मुफ्त में चिकित्सा सेवा देने का संकल्प लिया है।
बेंगलुरु से करीब 35 किलोमीटर दूर टीबेगूर गांव में हर रविवार को डॉ रमना राव फ्री विलेज क्लिनिक चलाते हैं, पिछले 44 सालों से लगातार ये सिलसिला जारी है, अब तक इस फ्री क्लिनिक में तकरीबन 20 लाख लोग अपना इलाज करवा चुके हैं जो अपने आप में एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है।
रविवार को विलेज क्लिनिक के बाहर लम्बी-लम्बी कतारों में लोग अपनी-अपनी बारी का इंतजार करते हैं। हर सप्ताह डॉ रमना राव औसतन 800 लोगों का इलाज करते हैं। मरीजों को यहाँ उनकी जांच से लेकर दवा तक सब कुछ मुफ्त मिलता है। इसके अलावा मरीजों को मुफ्त में पौष्टिक भोजन भी दिया जाता है। गांव के लोगों को स्वस्थ रखने का बीड़ा उठाने वाले डॉ रमना राव अपनी सेवा के लिए पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किए जा चुके हैं।
डॉ रमना राव हर रविवार गणेश पूजा के साथ विलेज क्लिनिक की शुरुआत करते हैं। इसके बाद अलग-अलग कतार में बैठे महिला और पुरुषों से हाथ जोड़कर मिलते हैं, उनकी तकलीफों के बारे में उनसे बात करते हैं और फिर हर एक मरीज की जांच खुद ही कर उन्हें फ्री दवाइयां देते हैं। इस काम में 30 लोगों की टीम उनकी मदद करती है जिसमें कुछ जूनियर डॉक्टर्स भी हैं।
खांसी, जुखाम, बुखार, जोड़ों में दर्द, सांस लेने में तकलीफ जैसी आम बीमारियों के अलावा, यहाँ डायबिटीज, डेंटल केयर जैसी महंगी बीमारियों का इलाज भी मुफ्त में किया जाता है। इसके अलावा महीने में एक या दो बार आई टेस्ट, ECG और कम्प्लीट हेल्थ चेकअप का कैम्प भी डॉ रमना राव लगाते हैं। कभी-कभी उनके 2 सर्जन बेटे भी यहाँ आकर उनकी मदद करते हैं। अचरज में डालने वाली बात ये है कि डॉ रमना राव अपने ही बूते पर इस फ्री विलेज क्लिनिक को चला रहे हैं।
फ्री में चिकित्सा देने के साथ-साथ डॉ रमना राव ने आसपास के 15 गांवों को गोद लिया है जहाँ उन्होंने 800 टॉयलेट्स बनवाए हैं। गांवों के बच्चों को फ्री में नोट्स और बुक्स बांटते हैं और साथ ही हर सप्ताह सैकडों ग्रामीणों को सोप, टूथपेस्ट और शैम्पू भी बांटते हैं। और, उनकी इन्हीं सभी खूबियों की वजह से लोग उन्हें मसीहा मानते हैं।
डॉ रमना राव बेंगलुरु के जाने माने डॉक्टर हैं उनका कहना है कि अपनी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा वो सेवा में लगा रहे हैं लेकिन मरीजों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है जिसके चलते अपने काम को प्रभावशाली तरीके से चलाते रहने के लिए अब उन्हें फंड की जरूरत महसूस होने लगी है।
लग्जरी लाइफ को छोड़कर छुट्टी के एक दिन को भी लोगों की सेवा में लगा देने वाले डॉ रमना राव जैसे बहुत ही कम लोग हैं। इन लोगों का हाथ मजबूत करना वक्त की जरूरत है। ऐसे लोग अपने मिशन में सफल होंगे तभी ऐसा करने की सोच रखने वाले दूसरे लोगों को प्रोत्साहन मिलेगा।