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भारतीय नौसेना ने दक्षिण चीन सागर में तैनात किया जंगी जहाज, गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद उठाया कदम

पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में बीते 15 जून को हुई हिंसक झड़प के बाद भारतीय नौसेना ने बड़ा कदम उठाते हुए दक्षिण चीन सागर में अपना एक फ्रंटलाइन वॉरशिप (जंगी जहाज) तैनात कर दिया है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: August 30, 2020 18:27 IST
Indian Navy deployed warships in south china sea post Galwan Valley clash - India TV Hindi
Image Source : ANI Indian Navy deployed warships in south china sea post Galwan Valley clash 

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में बीते 15 जून को हुई हिंसक झड़प के बाद भारतीय नौसेना ने बड़ा कदम उठाते हुए दक्षिण चीन सागर में अपना एक फ्रंटलाइन वॉरशिप (जंगी जहाज) तैनात कर दिया है। हालांकि, चीन ने दोनों पक्षों के बीच हुई वार्ता के दौरान भारत के इस कदम पर आपत्ति दर्ज कराई है। 

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, दक्षिण चीन सामग के क्षेत्र में जहां पर भारतीय नौसेना ने जंगी युद्धपोत तैनात किया है वह वो इलाका है जहां चीन भारत के वॉरशिप का विरोध करता रहा है। चीन पहले भी इस क्षेत्र में भारतीय नौसेना के पोतों की उपस्थिति पर आपत्ति जताता रहा है, जहां उसने कृत्रिम द्वीपों और सैन्य उपस्थिति के माध्यम से 2009 से अब तक अपनी उपस्थिति में काफी विस्तार किया है। 

चीन ने भारत के सामने दोनों देशों के बीच हुई वार्ता के दौरान ये मुद्दा उठाया और इस पर आपत्ति जताई। चीनी सरकार के लिए दक्षिण चीन सागर हमेशा से कापी महत्वपूर्ण है। चीन किसी दूसरे देश की यहां पर मौजूदगी पसंद नहीं करता है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के विरोध के बाद भी भारत ने अपना युद्धपोत यहां तैनात किया है। 

सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, 'गलवान संघर्ष (जिसमें हमारे 20 सैनिक मारे गए थे) शुरू होने के तुरंत बाद ही भारतीय नौसेना ने अपने मोर्चे के एक युद्धपोत को दक्षिण चीन सागर में तैनात कर दिया था, जहां पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की नौसेना समुद्र के ज्यादातर भाग पर अपना अधिकार होने का दावा करती है और किसी भी अन्य सेना की इस क्षेत्र के हिस्से में उपस्थिति पर आपत्ति जताती है।'

दक्षिण चीन सागर में भारत और अमेरिका हुए एकजुट

सूत्रों ने बताया, दक्षिण चीन सागर में भारतीय नौसेना के युद्धपोत की तत्काल तैनाती का चीनी नौसेना और सुरक्षा प्रतिष्ठान पर वांछित प्रभाव पड़ा क्योंकि उन्होंने भारतीय पक्ष के साथ राजनयिक स्तर की वार्ता के दौरान भारतीय युद्धपोत की उपस्थिति के बारे में से शिकायत की। सूत्रों ने बताया कि दक्षिण चीन सागर में तैनाती के दौरान जहां अमेरिकी नौसेना ने भी अपने विध्वंसक और फ्रिजेट तैनात किए थे, भारतीय युद्धपोत लगातार अपने अमेरिकी समकक्षों के साथ सुरक्षित संचार प्रणाली को लेकर संपर्क बनाए हुए थे। नियमित अभ्यास के तौर पर भारतीय युद्धपोत को लगातार अन्य देशों के सैन्य जहाजों की आवाजाही की स्थिति के बारे में अपडेट किया जा रहा था। 

सूत्रों का कहना है कि ये पूरा मिशन बेहद गोपनीय तरीके से किया गया ताकि भारतीय नौसेना की गतिविधियों पर लोगों की नजर न जा सके। इसी दौरान भारतीय नौसेना ने अंडमान निकोबार द्वीप के पास मलक्का स्ट्रेट पर भी जहाज तैनात किए ताकि चीन की नौसेना की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। इसी रास्ते से चीन की नौसेना हिंद महासागर के इलाकों में प्रवेश करती है। इस दौरान कई चीनी जहाज तेल के टैंकर और अन्य महाद्वीपों के लिए शिपमैंट लेकर इस रास्ते से गुजरे।

भारतीय नौसेना दुश्मन की हर हरकत का जवाब देने के लिए तैयार

सूत्र ने बताया कि भारतीय नौसेना दुश्मन की किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए सक्षम है, चाहे वो पूर्वी फ्रंट पर हो या पश्चिमी फ्रंट पर। वहीं मिशन आधारित तैनाती के चलते हिंद महासागर और उसके आस-पास में पैदा होने वाली स्थितियों को काबू में रखने में भारतीय नौसेना को मदद मिली है। भारतीय नौसेना स्वदेशी जहाजों, मानवरहित सिस्टम और सेंसर्स की तत्काल प्रभाव के साथ तैनाती को लेकर भी योजना बना रही है ताकि हिंद महासागर में आने के लिए मलक्का स्ट्रेट पर होने वाली हर गतिविधी पर बारीकी से नजर रख सके। सूत्रों ने बताया है कि भारतीय नौसेना ने अपने मिग 29के लड़ाकू विमानों को भी एक विशेष वायु सेना बेस पर तैनात किया है, जहां वो पहाड़ी इलाकों में मुठभेड़ की ट्रेनिंग ले रहे हैं।

15 जून को गलवान घाटी में हुई थी हिंसक झड़प

15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 16 बिहार इंफेंट्री रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी संतोष बाबू सहित 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। चीन ने गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में हताहतों की संख्या के बारे में कुछ भी नहीं बताया है। भारतीय सेना के सैनिकों की ओर से इस हिसंक झड़प में हैंड टू हैंड सामना किया गया था और इस झड़प से हुए नुकसान के बारे में सेना द्वारा जानकारी भी दी गई थी, लेकिन बीजिंग की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान अब तक नहीं आया है।

(इनपुट-ANI)

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