नई दिल्ली: भारतीय नौसेना ने डीप सबमरीन सेस्क्यू व्हीकल (डीएसआरवी) का परीक्षण किया और पानी के अंदर ही कर्मियों को पनडुब्बी से स्थानांतरित कर दिया। डीएसआरवी और किलो दर्जे की पनडुब्बी आईएनएस सिंधुराज के बीच सजीव अंतर्सम्बंध परीक्षण दो जून को पूर्वी तट पर हुआ। इस दौरान आईएनएस सिंधुराज संकटग्रस्त जहाज की तरह पीछे चल रहा था। पानी के अंदर ही सिंधुराज से कर्मियों को डीएसआरवी में लाया गया और उन्हें सुरक्षित जमीन पर लाया गया।
भारतीय नौसेना ने महासागर की गहराई में कर्मियों का स्थानांतरण करने की नई क्षमता हासिल की है। इससे पनडुब्बी संबंधित आपातकाल से निपटने में सहायता मिलेगी। नौसेना ने कहा कि पूरी प्रक्रिया भारतीय सदस्यों ने की और इसके प्रशिक्षण चरण को पूर्वी तट पर पूरा किया। पनडुब्बी के जिन हेचों पर दोनों यानों का अंतर्सम्बंध किया गया, उसे भारतीय नौसेना पनडुब्बी डिजायनर प्रमाणित किया था।
यह भी एक नई क्षमता है जिसे भारतीय नौसेना ने हाल ही में अधिग्रहीत किया है। इसका उद्देश्य खुद को हिंद महासागर क्षेत्र में प्रमुख पनडुब्बी रक्षक में शामिल करने का है। भारतीय नौसेना ने अपने पहले डीएसआरवी को 2018 में शामिल किया था।
डीएसआरवी समुद्र तल में पनडुब्बी से मिलती है जिसके बाद पनडुब्बी कर्मियों को स्थानांतरित करने के लिए हेच खोलती है। नौसेना ने इस प्रक्रिया को ऐतिहासिक बताया है जिसके बाद भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में पनडुब्बी रक्षक के रूप में उभरेगी। नौसेना की पनडुब्बियों के साथ कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें अगस्त 2013 में सिंधुरक्ष की दुर्घटना भी है जिसमें विस्फोट के बाद 17 कर्मियों की मौत हो गई थी।