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रूस से कोरोना वैक्सीन ले रहा है भारत? तीसरे चरण का ट्रायल होना बाकि

रूस और भारत के बीच कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक V को लेकर बातचीत चल रही है। अगर भारत सरकार वैक्सीन लेने को मंजूरी देती है तो हो सकता है जल्द ही वैक्सीन भारत में आ जाए लेकिन इस वैक्सीन का अभी तीसरा ट्रायल होना बाकि है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: September 07, 2020 8:46 IST
रूस से कोरोना वैक्सीन ले रहा है भारत? तीसरे चरण का ट्रायल होना बाकि- India TV Hindi
Image Source : AP रूस से कोरोना वैक्सीन ले रहा है भारत? तीसरे चरण का ट्रायल होना बाकि

नई दिल्ली: पूरी दुनिया कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए इसकी वैक्सीन की तलाश में है और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही कोरोना वैक्सीन मिल भी जाएगी। हालांकि, रूस पहले ही दावा कर चुका है कि उसने कोरोना की वैक्सीन बना ली है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दुनिया की इस पहली कोरोना वैक्सीन को 11 अगस्त को लॉन्च किया था।

इस रूसी कोरोना वैक्सीन का नाम स्पूतनिक V है। यह स्पूतनिक V वैक्सीन जल्द ही भारत भी आ सकती है। दरअसल, भारत और रूस के बीच स्पूतनिक V की सप्लाई और उत्पादन को लेकर कई स्तरों पर बातचीत चल रही है। भारत में रूस के राजदूत निकोलेय कुशादेव ने यह जानकारी दी है। उनके अनुसार, स्पूतनिक V को लेकर दोनों देश बातचीत कर रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, रूस ने स्पूतनिक V को लेकर भारत के साथ सहयोग के तरीके साझा करते हुए प्रस्ताव पेश किया है, जिसका भारत सरकार अभी अध्ययन कर रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, रूसी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक V से जुड़े 'व्यापक डाटा' को भारतीय अधिकारियों को सौंपा है।

बता दें कि रूस में वैक्सीन को दो चरणों के ट्रायल के बाद ही इस्तेमाल के लिए अनुमति दे दी गई थी। पहले दो चरणों के ट्रायल में वैक्सीन का कोई गंभीर साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला था। लैंसेट जर्नल ने भी इसके आंकड़े जारी किए थे। लैंसेट जर्नल के अनुसार, पहले और दूसरे चरण के ट्रायल में आंकड़े बेहतर हैं और इसमें कोई गंभीर साइड इफेक्ट सामने नहीं आया।

हालांकि, गौरतलब हो कि किसी भी वैक्सीन के ट्रायल के तीन चरण होते हैं और तीनों में उसे सुरक्षित पाए जाने के बाद ही इस्तेमाल की अनुमति मिलती है। ऐसे में अगर भारत में यह लाई जाती है तो तीसरे चरण के ट्रायल को लेकर भी भारत सरकार सोचेगी। भारत में रूस के राजदूत कुशादेव का भी कहना है कि 'कुछ जरूरी तकनीकी प्रक्रियाओं के बाद वैक्सीन बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की जा सकेगी।'

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