नई दिल्ली: गलवान घाटी में 15 जून को हुई खूनी झड़प के बाद दोनों देशों की सेनाओं के कोर कमांडर लेवल की मीटिंग के पांचवें दिनआज रविवार को पहली बार भारतीय सेना के अधिकारी और जवान फिजिकल वेरिफिकेशन करेंगे कि चीन बातचीत में किये गए अपने वादे के मुताबिक गलवान इलाके से हटा है या नहीं। इंडिया टीवी को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक़ भारतीय सेना यह मुआयना करेगी कि चीन ने अपनी सेना को गलवान इलाके से पीछे किया है या नहीं। उसके साथ-साथ गोगरा के इलाक़े में भी यही देखा जाएगा।
इस बात की जानकारी मिली है कि आने वाले दिनों में भारत और चीन की स्पेशल रिप्रजेंटेटिव आपस में मिलकर इस फ़ेस ऑफ़ के हालात पर चर्चा करते हुए इसे डाइवर्ट कर सकते हैं।
आपको बता दें कि कोर कमांडर लेवल की मीटिंग में ये तय हुआ था कि पहले फ़ेज़ के बाद दोनों सेनाएं परस्पर सहमति वाले इलाके में पीछे होंगी। ठीक यही बात 6 जून को भी हुई थी। लेकिन चीन की सेना अपने वादे के मुताबिक इलाके से पीछे नहीं हटी और भारतीय सेना के साथ झड़प हुई। इस झड़प में कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बाबू समेत भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे। उसके बाद 22 जून और फिर 30 जून को कोर कमांडर लेवल मीटिंग हुई।
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जानकारी के मुताबिक़ मीटिंग में यह तया हुआ कि दोनों सेनाएं पीछे की तरफ़ जाएगी और ख़ास तौर पर अप्रैल 2020 की यथास्थिति के अनुसार ही पीछे जाएंगी और आगे तक पेट्रोलिंग करने आ सकेंगी। पेंगोंग शो के इलाक़े को लेकर अभी तक गतिरोध बरकरार है और साथ में डेपसांग में भी उसी तरह का गतिरोध जारी है।
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आर्मी सूत्रों से इंडिया टीवी को इस बात की जानकारी मिली है कि चीन पर विश्वास नहीं किया जा सकता इसीलिए मिरर पोज़िशनिंग के तौर पर भारतीय सेना ने अपने जवानों की तैनाती की हुई है। फ़ायर एंड फ्यूरि कोर के साथ-साथ सुदर्शन चक्र यानी भारतीय सेना की एक और स्ट्राइक कोर के टैंकों और तोपों को यहां पर तैनात कर दिया गया है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लेह में सैनिकों को संबोधित करते हुए श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र का ज़िक्र किया था। यह भारतीय सेना की स्ट्राइक कोर है और इसके जवानों की तैनाती भी इनके पूरे हथियार और mechanised कॉलम के साथ की गई है।