नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के आगरा से आज आपको ऐसी खबर दिखाते हैं, जिसे देखकर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। 'हिंदुस्तान के जंगबाज' जिन्हें देखकर दुश्मन कांप जाए। आसमान से दर्जनों जांबाज पैराट्र्रूपर्स जमीन पर उतरे और महज 30 मिनट में दुश्मन के खेमे को ध्वस्त कर दिया। पैरा ड्रॉपिंग का ये प्रदर्शन आगरा में तब हुआ जब साउथ कोरिया के डिफेंस मिनिस्टर आए हुए थे। सेना के इस अदम्य साहस पर हमारे डिफेंस एडिटर मनीष प्रसाद की देखिए और पढ़िए ये एक्स्क्लूसिव रिपोर्ट।
यूपी के आगरा में पैराट्रूपर्स की प्रैक्टिस के दौरान सर्जिकल स्ट्राइक की याद आ गई। सेना के जवानों ने वैसे ही शौर्य दिखाया जैसे सर्जिकल स्ट्राइक हो रही हो। महज 30 मिनट में भारतीय सेना के पैराट्रूपर्स ने 10 हजार फीट की ऊंचाई से वो अदम्य साहस दिखाया कि इस्लामाबाद से लेकर बीजिंग तक हड़कंप मच गया। मौका था पैराट्रूपर्स की एक्सरसाइज का और सामने थे साउथ कोरिया के डिफेंस मिनिस्टर। लिहाजा सेना के जांबाजों ने ऐसे शौर्य दिखाया कि साउथ कोरिया के रक्षामंत्री भी हैरान रह गए। जंग के हालात में ये पैराट्रूपर्स दुश्मन को घर में घुस कर मारने का माद्दा रखते हैं।
ये भारतीय सेना के पैराटूपर्स हैं,10 हजार फीट की ऊंचाई से एएन-32 से जंप किया। दुश्मन के खेमे में घुसकर एक एक टोह लेना, 16 किलो का बैटल लोड लेकर पूरे एरिया को डॉमिनेट कर रहे हैं। पूरी जानकारी बेस तक पहुंचाना ताकि ऑपरेशन को आसानी से अंजाम दिया जा सके। पैराट्रूपर्स की टुकड़ी को आसमान से एयरड्रॉप किया गया और वो अपने निर्धारित लोकेशन पर लैंड कर गए। ठिकाने की पड़ताल की और सपोर्ट टीम को सटीक जानकारी दी जिसके बाद ऑपरेशन शुरू हो गया।
एक्सरसाइज के दौरान आगरा के आसमान से AN-32 विमान से पैराट्रूपर्स उतरे और दुश्मनों का पता लगाया तो वहीं पैराट्रूपर्स की सपोर्ट यूनिट के तौर पर तोप और बीएमपी के साथ जवानों ने पूरे इलाके को घेर लिया फिर एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल से हमला तेज हो गया। एक तरफ पैराट्रूपर्स का अगला स्टेप दुश्मन समझ पाते कि फौरन भारतीय वायुसेना के सी-130 जे सुपर हरक्यूलस ने हथियार और सामान को नीचे उतार दिया। उसके बाद पैरा कमांडोज के लिए हॉस्पिटल भी सेटअप कर दिया गया।
भारतीय सेना की पैराट्रूपर्स की ये टीम कोरियाई युद्ध में एयरबोर्न ऑपरेशंस में भी शामिल हो चुकी है तो इससे पहले 1947 और 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ जंग में साहस दिखा चुके हैं। तो वहीं 1971 में बांग्लादेश को आजाद कराने से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक और ऑपरेशन सन राइज में भी अपने साहस का परिचय दे चुके हैं। LAC जैसे इलाके में अगर दुश्मन के साथ जंग होती है तो ये पैराट्रूपर्स काफी अहम रोल निभाते हैं क्योंकि ये स्पेशल पैराकमांडो दुर्गम इलाकों में ऑपरेशन को अंजाम देने में सक्षम हैं। पैराट्रूपर्स जमीन के साथ- साथ पानी में भी 1.5 से 2 घंटे रह सकते हैं। पानी के नीचे 6 किमी/घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ सकते हैं। फाइटर जेट्स को लेजर के जरिए टारगेट आइडेन्टिफाई करने में मदद करते हैं। इनके अदम्य साहस का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उरी हमले के बाद पीओके में इन्हीं जवानों ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देकर आतंकियों को मार गिराया था।
सेना की इस पैरा ब्रिगेड में पैरा रेजिमेंट साथ में आर्टिलरी यानी तोप रेजीमेंट और इंजीनियर रेजीमेंट भी शामिल रहती है, जो इनके बताए ठिकाने पर बैठे दुश्मन पर हमला करते हैं। सिक्सटी पैरा फ़ील्ड हॉस्पिटल के जवानों ने ही कोरिया युद्ध के दौरान अपना पूरा हॉस्पिटल सेटअप करके साउथ कोरिया की आर्मी की मदद की थी और सारी सुविधाएं मुहैया करवाई थीं। इसके लिए साउथ कोरिया के डिफेंस मिनिस्टर इसको बेहद क़रीब से देखना चाहते थे। सेना की इस पैराट्र्रूपर्स की टीम का लोहा चीन और पाकिस्तान मानने लगा है क्योंकि ये अपने मिशन को अंजाम तक पहुंचाकर दम लेते हैं।
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