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भारतीय सेना ने 130mm स्वचालित प्रक्षेपक तोपों तथा 160mm टैम्पेल्ला मोर्टारों को सेवा मुक्त किया

भारतीय सेना ने सबसे ज्यादा समय तक सेवा देने वाली तोपखाना प्रणालियों में से 2 को मंगलवार को सेवामुक्त कर दिया।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : March 16, 2021 20:52 IST
130mm Self Propelled Catapult Guns, 160mm Tampella Mortars, Indian Army
Image Source : DEFENSE MINISTRY भारतीय सेना ने सबसे ज्यादा समय तक सेवा देने वाली तोपखाना प्रणालियों में से 2 को मंगलवार को सेवामुक्त कर दिया।

नई दिल्ली: भारतीय सेना ने सबसे ज्यादा समय तक सेवा देने वाली तोपखाना प्रणालियों में से 2 को मंगलवार को सेवामुक्त कर दिया। रक्षा मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, ‘सबसे अधिक सेवा देने वाली तोपखाना प्रणालियों में से दो-130 एमएम स्व-चालित एम-46 प्रक्षेपक तोप तथा 160 एमएम टैम्पेल्ला मोर्टारों को महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में सेवा से मुक्त किया गया। समारोह में रस्मीतौर पर अंतिम रूप से तोप दागी गईं। समारोह में महानिदेशक तोपखाना, लेफ्टिनेंट जनरल के रवि प्रसाद तथा वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।’

मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, ‘130 एमएम प्रक्षेपक तोप की रेंज 27 किलोमीटर से अधिक है और यह दो वर्तमान हथियार प्रणालियों-विजयंत टैंकों तथा 130 एमएम एम-46 तोपों का सफल विलय था। यह संकर प्लेटफॉर्म मोबाइल आर्टिलरी गन प्रणाली की जरूरत के लिए था ताकि 1965 तथा 1971 के युद्धों के बाद पश्चिमी सीमाओं पर स्ट्राइक फॉरमेशनों की सहायता की जा सके। ये तोपें सेना में 1981 में शामिल की गई थीं और अनेक कार्रवाईयों के दौरान इन्हें सफलतापूर्वक तैनात किया गया।’

विज्ञप्ति में कहा गया, ‘160 एमएम टैम्पेल्ला मोर्टार की रेंज 9.6 किलोमीटर है और इसे चीन के साथ 1962 की लड़ाई के बाद शामिल किया गया ताकि उत्तरी सीमाओं के ऊंचे शिखर को निर्बाध करने के लिए हथियार प्रणाली की आवश्यकता पूरी की जा सके। मूल रूप से इजराइल के रक्षाबलों से आयातित यह मोर्टार लीपा घाटी तथा हाजीपीर कटोरा में नियंत्रण रेखा पर सफलता पूर्वक तैनात किया गया और इसने नियंत्रण रेखा की पवित्रता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।’ रक्षा मंत्रालय ने अपनी विज्ञप्ति में बताया कि इस मोर्टार ने 1999 के करगिल युद्ध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ये हथियार प्रणालियां 60 वर्षों से भारतीय सेना में हैं और इन्हें सेवामुक्त किया गया है ताकि नवीनतम टेक्नोलॉजी वाले नए उपकरण आ सकें।

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