नई दिल्ली. सिक्किम में LAC पर भारतीय सेना के जवानों और चीनी PLA के सैनिकों के बीच में झड़प हुई है। भारतीय सेना ने जानकारी दी कि नॉर्थ सिक्किम में नाकु-ला बॉर्डर पर भारत और चीन के बीच मामूली झड़प हुई है और इसे लोकल लेवल कमांडरों द्वारा बातचीत करके सुलझा दिया गया। अब चीन की तरफ से भी इस खबर पर प्रतिक्रिया आई है। चीन के मुख पत्र ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने कहा है कि ऐसी कोई भी झड़प नहीं हुई है। चीन में ऐसी किसी झड़प का रिकॉर्ड नहीं है। भारत-चीन सीमा पर छोटी झड़पें होती रहती है। उन्होंने कहा कि अगर कोई ऐसी झड़प हुई है जिसमें जवान घायल हुए हैं उसे निश्चित ही रिकॉर्ड में लिया जाएगा और रिपोर्ट किया जाएगा।
पढ़ें- Jai Shri Ram: ममता 'दीदी' को और चिढ़ाएगी BJP! अब बांग्ला में जारी किया video song
बता दें कि सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, 20 जनवरी को सिक्किम के नाकुला में LAC पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई है। नाकुला में भारतीय जवान पैट्रोलिंग कर रहे थे तभी उन्होंने सामने से चीनी सैनिकों को आते देखा, भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को रोका तो वो हाथापाई पर उतर आए। इस झड़प कुछ चीनी सैनिकों के घायल होने की खबर है।
पढ़ें- ममता बनर्जी ने 'जय श्रीराम' के नारे पर जताई नाराजगी तो ये बोले सीएम योगी
उल्लेखनीय है कि नाकू ला वही स्थान है जहां पर पिछले साल नौ मई को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। इसके बाद पूर्वी लद्दाख के पेंगोंग लेक इलाके में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी और तब से अबतक करीब नौ महीने से वहां सैन्य गतिरोध जारी है। इस बीच, पूर्वी लद्दाख के सभी तनाव वाले इलाके से सैनिकों की वापसी के उद्देश्य से रविवार को भारत और चीन की सेना के बीच रविवार को एक और दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता हुई।
पढ़ें- शर्मनाक! कंटीले तारों से बांधकर किया आग के हवाले, पुलिस ने मौत को बताया रहस्य
पिछले साल गलवान में मारे गए थे 40 चीनी सैनिक
चीन के साथ पिछले साल से ही विवाद जारी है। पूर्वी लद्दाख में अप्रैल-मई के महीने से ही लद्दाख में दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने खड़ी हैं। इसी विवाद के बीच पिछले साल जून के महीने में भारत और चीन की सेनाएं गलवान में भिड़ गईं थी। इस झड़प में भारत ने चीन का गुरूर तोड़ दिया है। भारतीय जवानों ने चीन के 40 से ज्यादा सैनिकों को ढेर कर दिया था। इस घटना से चीन इतना ज्यादा टूट गया कि सेना के मनोबल पर असर न पड़े इसलिए उसने अपने मारे गए सैनिकों की संख्या का सम्मान तक नहीं किया और न उनकी संख्या के बारे में जानकारी दी। इस घटना में भारत के 20 जवानों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था।