नई दिल्ली. वायुसेना प्रमुख वी आर चौधरी ने मंगलवार को कहा कि भारतीय वायुसेना 114 बहु-उद्देश्यीय लड़ाकू विमान (एमआरएफए) की प्रस्तावित खरीद को आगे बढ़ा रही है और यह खरीद 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत की जाएगी। अप्रैल 2019 में वायुसेना ने लगभग 18 अरब डॉलर की लागत से 114 लड़ाकू विमान खरीद के लिए प्रारंभिक निविदा जारी की थी।
इसे हाल के वर्षों में दुनिया के सबसे बड़े सैन्य खरीद सौदों में से एक माना गया है। आठ अक्टूबर को वायुसेना दिवस से पहले प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए वायुसेना प्रमुख चौधरी ने कहा कि कई एयरोस्पेस कंपनियों से इस संबंध में प्रतिक्रिया मिली है और अधिग्रहण प्रक्रिया को अगले चरण में ले जाया गया है। इस खरीद पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ''यह परियोजना मेक इन इंडिया पहल के तहत होगी। हम इसे आगे बढ़ा रहे हैं।''
'पूर्वी लद्दाख में उत्पन्न किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार'
वायुसेना के नवनियुक्त प्रमुख एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि भारतीय वायुसेना पूर्वी लद्दाख में उत्पन्न किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार है और चीन द्वारा तिब्बत में विकसित नए एयरबेस और अन्य बुनियादी ढांचों से वायुसेना की लड़ाकू तैयारियों पर कोई असर नहीं होगा तथा वह किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।पाकिस्तान और चीन के बीच करीबी संबंधों के कारण उत्पन्न सुरक्षा चिंताओं के संबंध में एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि उस साझेदारी के बारे में चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है, लेकिन उन्होंने पाकिस्तान के माध्यम से चीन तक पश्चिमी तकनीकों/प्रौद्योगिकी के पहुंचने की आशंका को लेकर चिंता जतायी। देश को यह आश्वासन देते हुए कि भारतीय वायुसेना सभी परिस्थितियों में देश की सम्प्रभुता और हितों की रक्षा करने के लिए हमेशा तैयार रहेगी, एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि वायुसेना चीन और पाकिस्तान के साथ ‘‘दो मोर्चों’’ पर युद्ध की किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन द्वारा बुनियादी ढांचा विकास बढ़ाए जाने के संबंध में सवाल करने पर उन्होंने कहा कि भारत को इसकी जानकारी है और रेखांकित किया कि पड़ोसी देश तिब्बत में तीन एयरबेस पर विकास जारी रखे हुए है। हालांकि उन्होंने कहा कि चीन द्वारा एयरफील्ड और अन्य बुनियादी ढांचों का निर्माण किए जाने से भारतीय सेना की तैयारियों पर कोई असर नहीं होगा। उन्होंने सलाह दी कि ऊंचाई और क्षेत्र के कारण चीनी सेना प्रतिकूल स्थिति में है। उन्होंने कहा, ‘‘यह उनके लिए कमजोर क्षेत्र है।’’ वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हम क्षेत्र में किसी भी परिस्थिति और चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।’’
(INPUT-BHASHA