Monday, December 23, 2024
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8 अक्टूबर को क्यों मनाते हैं Air Force Day? जबकि 1 अप्रैल को भरी थी पहली उड़ान

भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) हर साल के 10वें महीनें के 8वें दिन स्थापना दिवस मनाती है। हर साल 8 अक्टूबर को वायुसेना दिवस (Air Force Day) मनाया जाता है।

Written by: Lakshya Rana @LakshyaRana6
Published : October 08, 2020 9:29 IST
IAF Wapiti II co-operation biplane of "A" Flight, No. 1 Squadron flying over New Delhi in the mid th
Image Source : IAF IAF Wapiti II co-operation biplane of "A" Flight, No. 1 Squadron flying over New Delhi in the mid thirties

नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) हर साल के 10वें महीनें के 8वें दिन स्थापना दिवस मनाती है। हर साल 8 अक्टूबर को वायुसेना दिवस (Air Force Day) मनाया जाता है। लेकिन, क्या आप इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट हैं कि वायुसेना दिवस 8 अक्टूबर को क्यों मनाया जाता है? जबकि इंडियन एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट ने अपनी पहली उड़ान तो 1 अप्रैल 1933 को भरी थी। अगर नहीं! तब भी कोई बात नहीं है, हम आपको इसके बारे में बताते हैं। 

8 अक्टूबर को क्यों मनाते हैं वायुसेना दिवस?

दरअसल, भले ही इंडियन एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट ने अपनी पहली उड़ान 1 अप्रैल 1933 को भरी हो लेकिन इंडियन एयरफोर्स की स्थापना (या कहें इंडियन एयरफोर्स का गठन) इससे पहले 8 अक्टूबर 1932 को ही हो गया था। यह वह वक्त था जब देश पर अंग्रेज राज कर रहे थे और इसीलिए भारतीय वायुसेना का गठन ब्रिटिश साम्राज्य की वायुसेना की एक इकाई के तौर पर हुआ था। तब इसका नाम भारतीय वायुसेना नहीं था बल्कि रॉयल एयर फोर्स था। लेकिन, स्वतंत्रता मिलने के बाद 1950 में इसका नाम भारतीय वायुसेना कर दिया गया।

भारतीय वायुसेना ने लड़े चार युद्ध

आजादी के बाद से भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) ने चार युद्ध में लड़े हैं। इनमें से तीन युद्ध पाकिस्तान और एक युद्ध चीन के खिलाफ था। आजाद भारत में भारतीय वायुसेना के बड़े ऑपरेशनों में ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन कैक्टस, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन पूमलाई, ऑपरेशन पवन और बालाकोट एयर स्ट्राइक शामिल हैं। पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर बालाकोट एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया था और आतंकियों का खातमा किया था। 

वायुसेना का आदर्श वाक्य

भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य 'नभ: स्पृशं दीप्तम' है. ‘नभ:स्‍पृशं दीप्‍तमनेकवर्ण व्‍यात्ताननं दीप्‍तविशालनेत्रम्। दृष्‍ट्वा हि त्‍वां प्रव्‍यथितान्‍तरात्‍मा धृतिं न विन्‍दामि शमं च विष्‍णो।।’ है। यह गीता के ग्यारहवें अध्याय से लिया गया है और यह महाभारत के महायुद्ध के दौरान कुरूक्षेत्र की युद्धभूमि में भगवान श्री क्रष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का एक अंश है। यह संस्कृत में है।

क्या है वायुसेना के आदर्श वाक्य का मतलब?

'नभ: स्पृशं दीप्तम' है. ‘नभ:स्‍पृशं दीप्‍तमनेकवर्ण व्‍यात्ताननं दीप्‍तविशालनेत्रम्। दृष्‍ट्वा हि त्‍वां प्रव्‍यथितान्‍तरात्‍मा धृतिं न विन्‍दामि शमं च विष्‍णो।।’ का अर्थ है- हे विष्णू, आकाश को स्पर्श करने वाले, देदीप्यमान, अनेक वर्णों से युक्त तथा फैलाए हुए मुख और प्रकाशमान विशाल नेत्रों से युक्त आपको देखकर भयभीत अन्तःकरण वाला मैं धीरज और शांति नहीं पाता हूं।

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