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India VS China: जानें लद्दाख में भारत की स्थिती पर यह बड़ा अपडेट

लद्दाख गतिरोध पर सरकारी सूत्र बताया कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के करीब 50 सैनिक सोमवार (7 सितंबर) को शाम करीब छह बजे मुखपारी चोटी के पास स्थित भारतीय चौकी की ओर आक्रामक तरीके से बढ़ रहे थे।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : September 08, 2020 19:54 IST
India VS China Ladakh PLA latest news
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नई दिल्ली: भारत सरकार के सरकारी सूत्रों ने लद्दाख गतिरोध पर कहा कि पैंगोंग झील क्षेत्र के दक्षिणी तट के आसपास में स्थित सामरिक चोटियों पर भारत की स्थिति मजबूत है। लद्दाख गतिरोध पर सरकारी सूत्र बताया कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के करीब 50 सैनिक सोमवार (7 सितंबर) को शाम करीब छह बजे मुखपारी चोटी के पास स्थित भारतीय चौकी की ओर आक्रामक तरीके से बढ़ रहे थे। चीन की सेना का प्रयास भारतीय सैनिकों को लद्दाख में मुखपारी चोटी और रेकिन ला क्षेत्रों में स्थित सामरिक चोटियों से हटाना था।

सूत्र ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में भारतीय चौकी की ओर सोमवार शाम को आक्रामक तरीके से बढ़ रहे चीनी सैनिकों ने छड़, भाले और धारदार हथियार ले रखे थे। सूत्रों ने बताया कि जब भारतीय सेना ने सोमवार शाम में चीन की पीएलए को रोका तो उन्होंने हमारे सैनिकों को भयभीत करने के लिए हवा में 10-15 बार गोलियां चलाईं। 

बुनियादी ढांचा सीमावर्ती क्षेत्रों में भारत का सैन्य बुनियादी ढांचा 1962 से बेहतर

जिले में चीन के साथ लगती सीमाओं पर भारत का बुनियादी ढांचा 1962 में हुए युद्ध के समय के मुकाबले अब बहुत बेहतर है । यहां अधिकारियों और रक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि सैन्य ढांचागत सुविधाएं 1962 के जमाने के मुकाबले इस समय सौ गुना बेहतर हैं क्योंकि अब न केवल सीमा तक सडकें बन गयी हैं बल्कि हवाई संपर्क भी बहुत मजबूत हुआ है और हर तरह के हैलीकॉप्टर सीमा के नजदीक दारमा, व्यास और जौहार घाटियों तक उतरने लगे हैं । धारचूला में एक अधिकारी ने कहा, 'क्षेत्र में तीन महत्वपूर्ण सीमा सड़कों में से लिपुलेख दर्रे तक की सड़क पूरी हो चुकी है, दारमा घाटी में सीमा चौकी तक जाने वाली सड़क पूरी होने के नजदीक है जबकि जौहार घाटी में सीमा सड़क का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही पूरा होना बाकी है ।' 

उन्होंने बताया कि मुनस्यारी से मिलम तक 55 किमी लंबी निर्माणाधीन सडक भी अगले साल तक बन जाने की संभावना है । सीमा सड़क संगठन के मुख्य अभियंता विमल गोस्वामी ने बताया, ' सडक का ज्यादातर हिस्सा बन चुका है और उस पर लोगों के वाहन चल रहे हैं ।' रक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों के अनुसार, भारत सरकार हाल में चीनी इरादों को भांपते हुए भारत-चीन सीमा पर सैन्य ढांचागत सुविधाओं के निर्माण में तेजी लायी है। कारगिल युद्ध के समय सेना के प्रवक्ता रहे लेफ्टीनेंट जनरल (सेवानिवृत्त्) एमसी भंडारी ने कहा, 'हमने अगर चीनी खतरे को पहले ही भांप लिया होता तो हम सीमा पर सैन्य ढांचागत सुविधाओं के मामले में बेहतर रूप से तैयार होते ।' 

भारत-चीन सीमा पर हवाई संपर्क को 1962 के मुकाबले सौ गुना बेहतर बताते हुए भंडारी ने कहा कि अब हम दारमा, व्यास और जौहार घाटी जैसे सीमा क्षेत्रों में हर तरह के हैलीकॉप्टर उतार सकते हैं और अपनी सेना को मदद पहुंचा सकते हैं। सीमा पर हवाई संपर्क बेहतर होने से सेना का हौसला बढने के अलावा सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों का मनोबल भी उंचा हुआ है। व्यास घाटी के नपलचू गांव के रहने वाले 80 वर्षीय गोपाल सिंह नपलच्याल ने बताया, 'हममें अपने देश और उसके सैन्य बलों के प्रति एक मजबूत समर्पण हैं। 

1962 में जब चीनी सैन्य बल इन घाटियों में सीमा के पास तक पहुंच गये तब हम गांव वालों ने खच्चरों और भेडों पर गोला-बारूद और खाना लादकर उन्हें सीमा चौकियों तक पहुंचाकर अपनी सेना की मदद की।' उन्होंने बताया कि इसके लिए वे युद्ध समाप्त होने तक गांवों में ही डटे रहे और निचले इलाकों में नहीं आए । उन्होंने बताया कि उनकी महिलाओं ने देश की मदद के लिए अपने सोने और चांदी के गहने तक दे दिए।

जौहार घाटी के ग्रामीणों का कहना है कि दिवंगत लक्ष्मण सिंह जंगपांगी उनके प्रेरणास्रोत हैं जिन्हें तिब्बत के गारतोक शहर में भारतीय व्यापार एजेंट के रूप में काम करने के दौरान देश के लिए किए गये कार्यों हेतु 1959 में पदमश्री से अलंकृत किया गया था। ऊपरी जौहार घाटी के निवासी श्रीराम धर्मशक्तु ने बताया कि वह पहले भारतीय थे जिन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को भारतीय भूक्षेत्रों पर चीन के बुरे इरादों के बारे में बताया था।

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