जयपुर: अलवर के पहलु खां मॉब लिंचिंग मामले ने पूरे देश मे हलचल मचा दी थी। पहलु खान की हत्या थी इस बात का दावा किया जा रहा था लेकिन निचली अदालत के फैसले के बाद 6 लोग बरी हुए और साफ हो गया कि पहलु खान की हत्या नहीं की गई। हालांकि इस फैसले को हाई कोर्ट मे चुनौति देने के लिए सरकार ने एसआईटी का गठन किया है और एसआईटी के रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार पहलु खां मौत के मामले को हाईकोर्ट मे चैलेंज करेगी।
इस मामले में कुछ एसे दस्तावेज इंडिया टीवी के हाथ मे लगे है जिससे इस पूरे मामले पर सवाल खड़े होते है कि आखिरकार क्या पहलु खान की मौत साजिशन हुई या फिर वसुन्धरा सरकार में जानबूझकर इस मामले मे साक्ष्यों को छिपाने की कोशिश की गयी। इंडिया टीवी के पास एफएसएल की वो रिपोर्ट मौजूद है जिसको चार्जशीट पेश करने के बहुत बाद के वक्त मे कोर्ट मे पेश किया गया या यूं कहे इस रिपोर्ट को सही तरीके से अदालत मे रखा ही नहीं गया।
14 अगस्त के अपने फैसले में, अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सरिता स्वामी ने एक वाक्य में फोरेंसिक रिपोर्ट का उल्लेख किया, लेकिन इसे सबूत का एक महत्वपूर्ण टुकड़ा नहीं माना गया। स्वामी ने कहा कि मामले के चार जांच अधिकारियों में से दो- रमेश सिनसिनवार और परमाल सिंह ने कहा कि जब फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट अदालत के रिकॉर्ड का हिस्सा थी, तब भी वीडियो फोरेंसिक जांच के लिए नहीं भेजे गए थे।
एफएसएल की रिपोर्ट मे साफ हो गया है कि पहलु खान की पिटाई के वक्त जिस मोबाईल से वीडीयो बनाया गया वो बिल्कुल सही थे। इस मोबाईल को हालांकि एसआईटी ने मालखाने से जब्त भी कर लिया है। फोरेंसिक रिपोर्ट से पता चला है कि वीडियो को 11 जनवरी, 2018 को लैब द्वारा प्राप्त किया गया था। फोरेंसिक रिपोर्ट इस मामले में चार्जशीट दायर होने के लगभग ढाई महीने बाद और खान की मृत्यु के आठ महीने से अधिक वक्त के बाद सामने आई।
फोरेंसिक रिपोर्ट से पता चला है कि वीडियो को 11 जनवरी, 2018 को लैब द्वारा प्राप्त किया गया था। इस मामले में चार्जशीट दायर होने के लगभग ढाई महीने बाद, और खान की मृत्यु के आठ महीने से अधिक समय के बाद चोटों का सामना करना पड़ा। भीड़ पर हमला। फैसले में छह लोगों को बरी कर दिया गया था जिन्हें उपरोक्त वीडियो के आधार पर गिरफ्तार किया गया था और उनकी पहचान की गई थी। जांच में कई फैसले भी सुनाए गए, जिससे स्वामी ने आरोपी को "संदेह का लाभ" दिया।
स्वामी ने अदालत में वीडियो शूट करने वाले फोन को प्रस्तुत नहीं करने, डिवाइस के स्वामित्व को स्थापित करने में विफल रहने और वीडियो को शूट करने के बीच की घटनाओं की श्रृंखला में विसंगतियों और पुलिस हिरासत में समाप्त होने के लिए पुलिस की आलोचना की। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कह रहे है कि पिछली सरकार मे पहलु खां मामले मे जांच मे गलतियां बरती जिसके लिये एसआईटी बनायी गयी और रिपोर्ट किसी भी वक्त आ सकती है।