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मोदी राज में कितनी अविरल गंगा? गंगा की स्वच्छता का रियलिटी चेक

प्रयागराज में गंगा नदी की सफाई का काम जोरों पर है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ऑपरेशनल है और हर रोज नदी में गिरनेवाले नालों के पानी से गंगा को धीरे धीरे मुक्ति मिल रही है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : December 25, 2018 23:26 IST
Ganga
Image Source : INDIA TV Ganga

नई दिल्ली: गंगा को निर्मल और अविरल गंगा बनाने का वादा पीएम नरेन्द्र मोदी ने कई बार किया था। गंगा मंत्रालय का चार्ज संभालने वाले नितिन गडकरी ने कई बार दावा किया है कि गंगा बहुत तेजी से साफ हो रही है। इंडिया टीवी के रिपोर्टर्स ने .वाराणसी...इलाहाबाद और कानपुर में जहां गंगा सबसे ज्यादा प्रदूषित है, इसकी रियलिटि चेक की। 

सबसे पहले आपको संगम नगरी प्रयागराज की बात करते हैं। यहां कुंभ मेले के लिए इंतजाम किए जा रहे हैं। संगम के किनारे साधु संतों का जमावड़ा शुरु हो गया है। कुंभ की भव्यता में कोई कमी न रह जाए...इसके लिए हर लेवल पर तैयारी हो रही है। लेकिन इन सबके बीच केंद्र में गंगा है। क्योंकि इसी नदी में आने वाले दिनों में करोड़ों लोगों को श्रद्धा की डुबकी लगानी है। इंडिया टीवी संवाददाता सौरभ श्रीवास्तव गंगा के तट पर गए। उन्होंने देखा जो तस्वीरें उन्हें गंगा नदी की भेजी...वो आंखों को सुकून देने वाली थी। सौरभ ने बताया कि इस वक्त प्रयागराज में गंगा नदी की सफाई का काम जोरों पर है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ऑपरेशनल है और हर रोज नदी में गिरनेवाले नालों के पानी से गंगा को धीरे धीरे मुक्ति मिल रही है।

हालांकि गंगा को साफ करने का काम इतना आसान नहीं था। आपको बता दें कि इलाहाबाद में कुछ 64 नाले ऐसे थे जो सीधे गंगा नदी में गिर रहे थे, लेकिन सात सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के बाद इनपर रोक लगी। 2017 में 32 नालों को बंद कर दिया था। इस साल भी कई नालों का पानी गंगा में जाने से रोका गया। हमारे संवाददाता सौरभ श्रीवास्तव नैनी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पहुंचे। यहां उन्होंने देखा कि सिर्फ एक प्लांट से कम से कम 27 करोड़ लीटर नाले का पानी प्योरीफाई किया जा रहा था। इसकी गंदगी को अलग-अलग लेवल पर फिल्टर किया जा रहा था।

इस बार गंगा की सफाई के लिए गंगा सेवा मित्र और स्वच्छता दूत भी बनाए गए हैं, गंगा सेवा मित्र सिर्फ गंगा में गिरने वाली गंदगी को निकालने और हटाने का काम करेंगे। वहीं स्वच्छता दूत पूरे कुम्भ मेले के साथ साथ गंगा की सफाई में खास ख्याल रखेंगे। हालांकि हाईकोर्ट ने खुद गंगा की सफाई अभियान पर नजर रखने के लिए न्याय मित्र को नियुक्त किया है। इन्होंने भी बताया कि पिछले सालों की तुलना में इस बार गंगा का पानी साफ है। लेकिन इसकी बडी वजह STP...ट्रीटमेंट प्लांट का ऑपरेशनल होना है। और अगर इसी तरह काम होता रहा तो आगे गंगा और निर्मल हो सकती है।

गंगा नदी का सबसे ज्यादा ट्रांसफॉर्मेशन अगर उत्तर प्रदेश के किसी शहर में दिखा तो वो सिटी कानपुर है। कानपुर में गंगा सबसे ज्यादा पॉल्युटेड थी और ये किसी से छिपी हुई बात नहीं थी। इसीलिए सरकार ने कानपुर में नदी को साफ करने के लिए सबसे ज्यादा मेहनत की,कई बड़े कदम उठाए। कानपुर में 16 नालों का पानी गंगा नदी में गिरता था लेकिन इनमें सबसे बड़ा नाला सीसामऊ का है। ये देश ही नहीं एशिया का सबसे बड़ा नाला था जहां से रोजाना 14 करोड़ लीटर कचरा गंगा में गिरता था। लेकिन अब इस नाले को परमानेंट तौर पर बंद कर दिया गया है। खुद नितिन गडकरी ने ये दावा किया था।

इंडिया टीवी संवाददाता विशाल प्रताप सिंह सीसामऊ पहुंचे। अब सीसामऊ का नाला काफी हद तक बंद हो चुका है। दिन के वक्त इस नाले से गंगा नदी में थोड़ा-थोड़ा पानी जरूर गिर रहा था। लेकिन पहले के मुकाबले सीसामऊ का ये ड्रेन..बंद दिखाई दिया। हालांकि विशाल ने बताया कि दिन के वक्त तो नाले से कम पानी गिरता है..लेकिन रात के वक्त पानी का फ्लो फिर तेज हो जाता है..इसे भी कंट्रोल करने की जरूरत है।

केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी जोर देकर कहा कि गंगा नदी को साफ करना सरकार की प्राथमिकता है और इसी वजह से 126 साल पुराना अंग्रेजों के जमाने से बना सीसामऊ का नाला बंद हो पाया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस की बात करें तो यहां पहले कम से कम तीस नालों का पानी गंगा नदी में गिरता था। रोजाना करोड़ों लीटर कचरा..गंदा को दूषित करता था। इसे हटाने के लिए...इसे साफ करने के लिए कुछ खास किया नहीं जाता था। लेकिन अब गंगा एक्शन प्लान के तहत के नालों का डाइवर्जन कर दिया गया है। वहीं राजघाट के पास शाही नाले को सरकार ने पूरी तरह बंद कर दिया है। पहले इस नाले की वजह से यहां आसपास खडा होना भी मुश्किल था लेकिन अब हालात बदले हैं। वारासणी के लोग बताते हैं कि शाही नाले की ही तर्ज पर अब कई दूसरे नालों को भी बंद किया जा रहा है। काम तेजी से चल रहा है...और अगर यही सरकार आगे भी आई...तो फिर गंगा निर्मल होकर ही रहेगी।

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