नई दिल्ली: पिस्टल लिए दंगाइयों की भीड़ का लाठी से सामना करने वाले पुलिसकर्मी की चर्चा चारों तरफ है। दंगाइयों की भीड़ में पिस्टल लिए पहुंचे शाहरुख का हेड कांस्टेबल दीपक दहिया ने सिर्फ लाठी के बल पर सामना किया था। दीपक ने इंडिया टीवी को बताया, "2-3 बजे का समय था दोपहर में, हम लोग भीड़ को कंट्रोल कर रहे थे रोड़ की दूसरी साइड में, जैसे ही हम रोड़ के इस तरह आए तो देखा की वह भीड़ पर फायरिंग करता हुआ आ रहा था, मुझे लगा कि इससे ज्यादा कैजुअलिटी हो सकती है, उसका ध्यान बांटने के लिए मैने उसको चेतावनी दी कि रुक जाओ नहीं तो आपको हम छोड़ेंगे नहीं, फिर वह नरवस हो गया और उसने एक साइड दूसरा फायर करके फिर वह अपनी भीड़ में वापस चला गया। मैने यही सोचा कि किसी व्यक्ति की जान नहीं चली जाए, इस लिए मैने उसका ध्यान बांटने की कोशिश की जिसमें मैं कामयाब हो गया।"
सवाल-आपके पास हथियार नहीं था, आपकी जान को भी खतरा हो सकता था, कैसे आपने सबकुछ संभाला वहां पर
दीपक-हमारे लिए पब्लिक की सेफ्टी सबसे पहले है, अपनी जान देकर भी हमे उन्हें बचाना है, मैने यही सोचा कि सबसे पहले पब्लिक को बचाना है और उसे फायरिंग रेज से बाहर निकालना है ताकि किसी को गोली न लग जाए।
मौजपुर चौक पर ड्यूटी थी हमारी, वहां पर शांतिपूर्ण धरना चल रहा था, फिर वहां पर बड़ी भीड़ दिखी जो हल्ला करके पत्थरबाजी करने लगी। तो हम समझाने लगे, हम रोड़ के दूसरी तरफ थे, जैसे ही मुझे गोली की आवाज सुनाई दी तो रोड़ के दूसरी तरफ आया और उसके बाद सोचा की पब्लिक की ज्यादा कैजुएलिटी हो सकती है फिर मैने उसका ध्यान बांटने की कोशिश की।
सवाल-कैसे आपने उसका ध्यान बांटा
दीपक-वो कह रहा था कि मैं गोली मार दूंगा तू पीछे हट जा, मैने उसे डराने की कोशिश की और कहा कि आप गोली नहीं मार सकते किसी को लग सकती है। इससे थोड़ी कामयाबी मिल गई हमे।
सवाल-क्या आपके ऊपर भी फायर किया था
दीपक-उसने फायर बाद में किया, पिस्टल पहले तान रखी थी, एक फायर उसने स्टार्टिंग के आते वक्त किया था, मैं उससे हिल गया था, वो सामने का फायर था, थोड़ा सा मैं हिल गया था, वह फायर साइड से निकल गया था।