मुंबई: मुंबई के पास ठाणे की एक प्राइवेट लैब में कोरोना के स्वैब कलेक्शन का काम टेक्नीशियन नहीं करते हैं ब्लिक ये काम डांसर, कलाकार और जमादार कर रहे हैं। जबकि कोरोना टेस्ट के लिए स्वैब लेने में काफी एहतियात और सुरक्षा की जरुरत होती है। ठाणे की मिलेनियम पैथ लैब में ये काम नॉन-टैक्निकल लोग कर रहे हैं। इनका पैथोलॉजी का कोई अनुभव भी नहीं है।
इंडिया टीवी संवाददाता ने जब इस प्राइवेट लैब के CEO से बात की तो उन्होंने कई हैरान करने वाली बातें बताई। पहली बात तो ये कि इस पैथ लैब को कोरोना टेस्टिंग के लिए ICMR से मान्यता मिली हुई है लेकिन लैब में कलेक्शन के लिए नियुक्त 10 लोगों में से ज्यादातर नॉन-टैक्निकल हैं।आखिर कोरोना जैसी खतरनाक और तेजी से इंफेक्ट करने वाली बीमारी की टेस्टिंग का काम डांसर, आर्टिस्ट और क्लीनअप मार्शल (जमादार) कैसे कर रहे हैं?
जब इंडिया टीवी रिपोर्टर ने ये सवाल मिलेनियम पैथ लैब के CEO किरण गोसावी से पूछा तो उन्होंने बताया कि अप्रैल के महीने में जब उनकी लैब को कोरोना टेस्ट के लिए अप्रूवव मिली तो उनके यहां 8 से 10 लोगों का स्टाफ था। लेकिन कोरोना इंफेक्शन फैलने के डर और फैमिली के प्रेशर में आकर उन्होंने काम पर आने से मना कर दिया। जिससे लैब में टेस्टिंग का काम रुक गया।
उन्होंने बताया कि जब लैब में पहले से काम कर रहे टैक्निकल स्टाफ ने काम पर आने से मना कर दिया तो लैब की तरफ से सैंपल कलेक्शन के काम के लिए सोशल मीडिया पर विज्ञापन निकाला गया। इस विज्ञापन देखकर कई ऐसे लोगों ने नौकरी के लिए अप्लाई किया जिनका पैथोलॉजी का कोई अनुभव नहीं था। इनमें से ज्यादातर लोग साइंस बैकग्राउंड के भी नहीं थे। हालांकि प्राइवेट लैब के मालिक का दावा है कि उन्होंने इन लोगों को ट्रेनिंग दी और अब वो एहतियात बरतकर अच्छा काम कर रहे हैं। वहीं डॉक्टर्स का भी कहना है कि ये पूरी तरह गलत है क्योंकि कोरोना टेस्ट के लिए जिस तरह स्वैब कलेक्ट किया जाता है उसके लिए टैक्निकल जानकारी होना जरुरी है।