पेरिस: केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने आज घोषणा की कि भारत जलवायु परिवर्तन के दीर्घकालिक प्रभावों का अध्ययन करने के लिए हिमालय और पश्चिमी घाट समेत आठ स्थानों पर आठ पारिस्थितिकी वेधशालाएं स्थापित करेगा।
जावडेकर ने दीर्घकालिक पारिस्थितिकी वेधशाला कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए कहा, हम आठ भिन्न बायोम (जैवक्षेत्रों) में आठ नयी वेधशालाएं स्थापित करेंगे। सौभाग्य से भारत में हमारे पास प्रचुर विविधता है। हमारे यहां दुनिया की 17 फीसदी जनसंख्या हैं, 17 फीसदी मवेशी हैं। हमारे पास दुनिया की महज ढाई फीसदी जमीन है। फिर भी भारत में हमारे पास आठ फीसदी जैवविविधता है।
उन्होंने कहा, जलवायु परिवर्तन हर चीज पर असर डालता है। यह न केवल हवा, पानी या मौसम पर असर डालता है बल्कि जैवविविधता को भी प्रभावित करता है। वाकई, दीर्घकालिक प्रभावों का मूल्यांकन करने के लिए हमें दीर्घकालिक वेधशालाओं की जरूरत है।
जावडेकर ने कहा कि फिलहाल कई देश प्रतिरूप अध्ययनों के आधार पर स्थिति का आकलन करते हैं लेकिन भारत प्रयोग के आधार पर यह करेगा। अधिकारियों के अनुसार भारत फिलहाल केवल एक ही स्थल मुदुमलाई में 50 हेक्टेयर क्षेत्र में दीर्घकालिक पारिस्थितिकी निगरानी आईआईएस के माध्यम से करता है। नयी पहली से देश के सभी बड़े बायोम इस अध्ययन के अंतर्गत आ जायेंगे।